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जंगल के पांच किमी के दायरे से शॉ मिलों को है हटाना

राणा प्रताप रांची : जंगल के पांच किमी के दायरे में संचालित शॉ मिलों (लकड़ी मिल) को हटाया जाना है. शॉ मिलों को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड में भी की गयी है. शॉ मिलों के लाइसेंस को रद्द करने का मामला हाइकोर्ट में भी पहुंचा है. कोर्ट से […]

राणा प्रताप
रांची : जंगल के पांच किमी के दायरे में संचालित शॉ मिलों (लकड़ी मिल) को हटाया जाना है. शॉ मिलों को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड में भी की गयी है. शॉ मिलों के लाइसेंस को रद्द करने का मामला हाइकोर्ट में भी पहुंचा है. कोर्ट से याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत (स्टेटस-को) भी मिल गयी है.
इस मामले में बार-बार कोर्ट वन विभाग से जवाब मांग रहा है, लेकिन अबतक जवाब नहीं मिला है.19 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान सरकार को जवाब देने के लिए कोर्ट ने अंतिम माैका प्रदान किया. तीन सप्ताह में शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि तय समय के अंदर शपथ पत्र दायर नहीं किया गया, तो जुर्माना लगाया जायेगा. जानकारी के अनुसार अलग-अलग समय में लगभग 100 से अधिक शॉ मिलों को जंगल के पांच किमी दायरे से बाहर शिफ्ट करने अथवा रद्द करने का आदेश दिया गया है. इसके खिलाफ शॉ मिल संचालकों की तरफ से हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर संबंधित वन प्रमंडल पदाधिकारियों के आदेश को चुनाैती दी गयी है.
क्या है मामला : वन विभाग के विभिन्न प्रमंडलों ने अगस्त 2016 में विभिन्न तिथियों में शॉ मिल मालिकों को निर्देश दिया था. निर्देश में कहा गया था कि वे अपने शॉल मिल को जंगल की पांच किमी परिधि के दायरे से हटा लें, अन्यथा शॉ मिल के लाइसेंस का निबंधन रद्द कर दिया जायेगा. यदि शॉ मिल को नहीं हटाया जाता है, तो यह माना जायेगा कि आप अपने लाइसेंस के निबंधन को रद्द करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. इससे पहले भी शॉ मिल संचालकों के खिलाफ विभाग कार्रवाई कर चुका है.

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