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देश भर में 92651 करोड़ का अनाज हुआ बरबाद

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट, झारखंड व बिहार में भी हुआ सर्वे संजय रांची : इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की दुनिया भर में भूख पर आधारित रिपोर्ट ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी हुई है. दुनिया भर के विकासशील देशों में भूख की स्थिति तथा सबको भोजन उपलब्ध कराने की नीतियां जानने के लिए यह […]

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट, झारखंड व बिहार में भी हुआ सर्वे
संजय
रांची : इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की दुनिया भर में भूख पर आधारित रिपोर्ट ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी हुई है. दुनिया भर के विकासशील देशों में भूख की स्थिति तथा सबको भोजन उपलब्ध कराने की नीतियां जानने के लिए यह रिपोर्ट हर वर्ष जारी होती है. वर्ष 2016 की रिपोर्ट कुल 118 देशों पर आधारित है. इसमें भारत 97वें स्थान पर है.
विभिन्न पैमाने के मद्देनजर शून्य से 100 अंकों के आधार पर होनेवाली इस ग्रेडिंग में भारत को 28.5 अंक मिले हैं. यहां शून्य अंक सबसे अच्छा माना जाता है. इसका मतलब है शून्य अंक वाले देश में कोई भूखा नहीं है. वहीं 100 अंक बदतर है. तो प्राप्त (28.5) अंकों के लिहाज से भारत में भुखमरी की समस्या को गंभीर माना गया है.
इधर, देश भर में में वर्ष 2012-13 के दौरान 92651 करोड़ रु मूल्य का अनाज, फल, सब्जियां, दूध, अंडे व अन्य खाद्य नष्ट हो गये. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की यह ताजा रिपोर्ट है, जो सर्वे व आंकड़ों के विश्लेषण के बाद जारी की गयी है. फसलों व खाद्य सामग्रियों की बरबादी अब भी जारी है. सर्वे का मकसद खाद्य सामग्रियों की बरबादी के लिए प्रभावी कारणों को जानना तथा इसे कम करने के उपाय खोजना है.
विभिन्न फसलों व खाद्य सामग्री संबंधी यह सर्वे झारखंड व बिहार में भी किये गये. झारखंड के रांची व रामगढ़ तथा बिहार के भभुआ, दरभंगा, समस्तीपुर, सुपौल व वैशाली जिले में यह सर्वे हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसे विशाल देश में, जहां एक बड़ी अाबादी को दो वक्त का भोजन न मिले, वहां खाद्य पदार्थों की बरबादी एक गंभीर मसला है.
दरअसल एहतियात न बरतने तथा साधन व अच्छी तकनीक के अभाव में अनाज व अन्य खाद पदार्थों की बरबादी, अनाज व खाद्य के संग्रहण, इनकी ग्रेडिंग, कुटाई, सफाई, अनाज व खाद्य को सुखाने, इनके परिवहन, पैकेजिंग तथा फिर गोदाम से लेकर दुकानों व कोल्ड स्टोरेज तक में इन्हें स्टोर करने व खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों में इनकी प्रोसेसिंग के दौरान होती है. वहीं बेहतर बाजार का नेटवर्क तथा कोल्ड स्टोरेज सुविधा न होने से कृषि उत्पादों की बरबादी बढ़ जाती है. गौरतलब है कि झारखंड में बेहतर मार्केट नेटवर्क तथा पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं.
झारखंड व बिहार का सर्वे : झारखंड (रांची व रामगढ़) तथा बिहार (भभुआ, दरभंगा, समस्तीपुर, सुपौल व वैशाली) में मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, अाम, अमरूद, अालू, टमाटर, प्याज, फूलगोभी, बंधा (पत्ता) गोभी व मछली की बरबादी संबंधी सर्वे हुए. झारखंड में बिरसा कृषि विवि, रांची तथा बिहार में राजेंद्र कृषि विवि, पूसा ने यह सर्वे आइसीएआर के लिए किया है.
झारखंड में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट जोन व पर्याप्त बाजार नहीं : कृिष उत्पादों के लिए बाजार का बेहतर नेटवर्क, कोल्ड स्टोरेज व कृषि संबंधी निर्यात परिक्षेत्र (एग्रीक्लचर एक्सपोर्ट जोन) न होना झारखंड के किसानों की कमाई मार रहा है. वहीं यह कृषि उत्पादों के बरबाद होने का कारण भी है.
केंद्र सरकार ने नवंबर 2002 में झारखंड के लिए एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट जोन की मंजूरी दी थी, जो आज तक नहीं बना. इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र के एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट डेवलपमेंट ऑथोरिटी के साथ करार तो किया, पर केंद्र के मांगने पर उसे एक्सपोर्ट जोन का प्रस्ताव नहीं भेजा. देश के कई राज्यों में एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट जोन है, पर झारखंड में नहीं.
रांची, हजारीबाग व लोहरदगा जिले के 10 प्रखंडों को जोन गठन के लिए चिह्नित किया गया था, जो फल-सब्जी उत्पादन में अग्रणी हैं. इस जोन में उत्पादित फल-सब्जियों व मेडिसिनल (अौषधिय) प्लांट का निर्यात देश-विदेश में होना था. जोन में फूड प्रोसेसिंग इकाई भी बननी थी.
दरअसल इस जोन का उद्देश्य उत्पादन, क्रय, विक्रय, प्रसंस्करण व निर्यात प्रक्रियाओं को संबद्ध व समन्वित करना, किसानों को ग्रुप व क्लस्टर में संगठित करना, इनके बीच एकता व समन्वय बढ़ाना, रोजगार व आय वृद्धि सहित इनके जीवन स्तर में सुधार करना, सामूहिक उत्पादन की कला से उत्पादन व विपणन की लागत कम करना व उपज की गुणवत्ता बढ़ाना था.मार्केट नेटवर्क भी नहीं : राज्य में कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार का बेहतर नेटवर्क भी नहीं है.
राज्य सरकार ने अपने पांच मुख्य शहरों में आंध्र प्रदेश के रयातू मॉडल पर बाजार बनाने का निर्णय लिया था. इसके लिए 50 लाख रु का बजटीय प्रावधान भी किया गया था, लेकिन रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, बोकारो व धनबाद में बनने वाले बाजार आज तक नहीं बने. नाबार्ड के अनुसार राज्य के सिर्फ तीन हजार गांव ही मेन मार्केट यार्ड व दो सौ अतिरिक्त गांव सब मार्केट यार्ड से जुड़े हैं.
कोल्ड स्टोरेज कम : राज्य में सब्जियों का कुल उत्पादन लगभग 35 लाख मिट्रिक टन (एमटी) है. इनमें से घरेलू खपत करीब 22 लाख एमटी की है. ऐसे में लगभग 12-13 लाख एमटी सब्जियां बच जाती हैं, जिन्हें रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं. कोल्ड स्टोरेज कम होने से किसान सब्जियों को सुरक्षित नहीं रख पाते. अभी राज्य भर में सिर्फ 81 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिसमें लगभग 60 ही संचालित हैं. सभी कोल्ड स्टोरेज की कुल क्षमता करीब 1.25 लाख एमटी है. वहीं जानकारों के अनुसार राज्य को करीब 500 कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है.
झारखंड में बाजार की संरचना
थोक बाजार : 25
कृषि उत्पाद की लगातार आवक वाला बाजार (रेगुलेटेड मार्केट) : 28
जिलों की मुख्य मंडियां (मेन मार्केट यार्ड) : 28
मुख्य मंडियों से छोटी मंडियां (सब मार्केट यार्ड) : 90
ग्रामीण व कस्बाई इलाकों वाले छोटे बाजार-हाट : 617
(नोट : नाबार्ड की अनुशंसा के अनुसार सब मार्केट यार्ड हर प्रखंड में एक होना चाहिए. झारखंड में अभी कुल 263 प्रखंड हैं)
विभिन्न राज्यों के एक्सपोर्ट जोन
राज्य जोन
प. बंगाल : हुगली, वर्दवान, मिदनापुर, नारायणपुर व हावड़ा
मध्य प्रदेश : उज्जैन, इंदौर, भोपाल, मालवा, देवास, धार, रत्नम, नेमच, मंडसुर व शाजापुर
उत्तर प्रदेश : लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी व उत्तरी पूर्वी क्षेत्र
आंध्र प्रदेश : चित्तुर, वारंगल, नालगोंडा, अनंतपुर व महबूब नगर
गुजरात : भाव नगर, सुरेंद्र नगर, अमरेली, राजकोट, जूनागढ़ व जाम नगर
जम्मू-कश्मीर : श्रीनगर, बारामुला, अनंतनाग व कुपवारा
निमाचल : शिमला, सिरमुर, कुल्लु, मंडी व किन्नौर
कर्नाटक : कोलार, चित्रदुर्गा, बीजापुर व बेंगलुरु
तमिलनाडु : मेट्टूपलयम, उदुमलपेट, चन्निकनूर, वेल्लोर, इरोड, पट्टूकोटाई, चेन्नई, कृष्णगिरी, रेडहिल्स व थेनी
कितने की बरबादी (रुपये)
मद कीमत करोड़ में
अनाज 20698
दलहन 3877
तेलहन 8278
फल 16644
सब्जियां 14842
काजू, नारियल
गन्ना वमसाले 9325
अंडा, मीट
मछली व दूध 18987
कुल 92651 करोड़

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