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सरकारी अस्पतालों में सेवा देंगे निजी चिकित्सक

रांची: अब सरकारी अस्पतालों में निजी चिकित्सक भी अपनी सेवा देंगे. अस्पतालों में किसी विशेष परिस्थिति व आम लोगों को चिकित्सीय सलाह की जरूरत पड़ने पर एेसा किया जा सकेगा. निजी चिकित्सकों की सेवा किसी जटिल अॉपरेशन में या फिर अॉपरेशन के दौरान आपात स्थिति के लिए लेने के अलावा अोपीडी के लिए भी ली […]

रांची: अब सरकारी अस्पतालों में निजी चिकित्सक भी अपनी सेवा देंगे. अस्पतालों में किसी विशेष परिस्थिति व आम लोगों को चिकित्सीय सलाह की जरूरत पड़ने पर एेसा किया जा सकेगा. निजी चिकित्सकों की सेवा किसी जटिल अॉपरेशन में या फिर अॉपरेशन के दौरान आपात स्थिति के लिए लेने के अलावा अोपीडी के लिए भी ली जा सकती है. विशेषज्ञ सेवा पार्ट टाइम होगी. बदले में इन चिकित्सकों को भुगतान किया जायेगा. सेवा शुल्क का निर्धारण उपायुक्त की अध्यक्षता वाली जिलों की रोगी कल्याण समिति करेगी. केंद्र सरकार ने अभी इस योजना के तहत प्रति जिला पांच-पांच लाख रुपये उपलब्ध कराये हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने यह राशि सभी सिविल सर्जनों को भेज दी है. किसी जिले में पैसा पूर्ण या अांशिक रूप से खर्च न हो पाने पर इसका इस्तेमाल दूसरे जिले में किया जा सकता है. विशेषज्ञ निजी चिकित्सकों की सेवा जिला (सदर) अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल (सब डिविजनल हॉस्पिटल) तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मिलेगी. सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए इस योजना की पहल केंद्र सरकार ने की है.
प्रसव संबंधी अॉपरेशन में भी निजी चिकित्सक
रांची. सरकार ने संस्थागत प्रसव (सी-सेक्शन) को बढ़ावा देने तथा पूर्ण सुरक्षित बनाने के लिए एक अलग योजना बनायी है. इसके तहत जिला अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल व सीएचसी के अलावा फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) बनाये गये 73 चिह्नित सीएचसी में भी निजी चिकित्सकों (सिर्फ स्त्री रोग विशेषज्ञ व निश्चेतक) की सेवा ली जा सकती है. पर केवल प्रसव संबंधी अॉपरेशन के लिए या इसके दौरान आपातकालीन परिस्थिति में. प्राथमिकता वाले जिलों में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को प्रति विजिट 4.5 हजार तथा निश्चेतक को 3.5 हजार रुपये की निर्धारित फीस मिलेगी. वहीं गैर प्राथमिकता वाले जिलों में यह दर क्रमश: चार हजार तथा तीन हजार रुपये होगी. इस योजना के लिए भी सभी जिलों को एक से तीन लाख रुपये तक उपलब्ध करा दिये गये हैं.
सिविल सर्जनों को करनी है पहल : जिलों में उपरोक्त दोनों योजनाओं की सफलता सिविल सर्जनों (सीएस) पर निर्भर है. संबंधित अस्पतालों (जिला, सब डिविजनल व सीएचसी) में जरूरत पड़ने पर चिकित्सक न होने का बहाना भी अब नहीं चलेगा. सीएस को अपने जिले में चिकित्सीय सेवाअों का आकलन कर तथा इसकी जरूरत के लिहाज से निजी चिकित्सकों को इंपैनल्ड (सूचीबद्ध) करना है. सरकारी अस्पतालों में सेवा देने के लिए उनसे मौखिक सहमति भी ली जा सकती है, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें बुलाया जा सके.
इन विशेषज्ञों की मिलेगी सेवा
जिला अस्पताल में : मेडिसिन, सर्जरी, स्त्री रोग (गायनोकोलॉजिस्ट), शिशु रोग (पेडियाट्रिक्स), निश्चेतक (एनेथिसिस्ट), नेत्र रोग (अॉप्थोमोलोजी), हड्डी रोग (अॉर्थोपेडिक्स), रेडियोलॉजी, पैथोलोजी, आंख-कान-गला (इएनटी), मनोचिकित्सक (साइकेट्रिस्ट), त्वचा रोग (डेरमेटोलॉजी), फॉरेंसिक, हार्मोन संबंधी रोग (इंदोक्रिनोलॉजिस्ट), हृदय रोग (कार्डियोलॉजिस्ट) तथा मस्तिष्क रोग (न्यूरोलॉजिस्ट). अनुमंडलीय अस्पताल में : मेडिसिन, सर्जरी, स्त्री रोग, शिशु रोग, निश्चेतक, नेत्र रोग, हड्डी रोग व रेडियोलॉजी. सीएचसी में : सर्जरी, स्त्री रोग, शिशु रोग व निश्चेतक.

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