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रांची में सिर्फ पांच अस्पताल ही आग से निबटने में सक्षम
रांची: नगर निगम की स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ किरण बताती हैं कि राजधानी में 200 से ज्यादा अस्पताल और निजी क्लिनिक हैं. उधर, अग्निशमन विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक राजधानी के सिर्फ पांच बड़े अस्पतालों के पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) है. इन दोनों आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट हो […]
रांची: नगर निगम की स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ किरण बताती हैं कि राजधानी में 200 से ज्यादा अस्पताल और निजी क्लिनिक हैं. उधर, अग्निशमन विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक राजधानी के सिर्फ पांच बड़े अस्पतालों के पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) है. इन दोनों आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि अन्य अस्पतालों के पास अाग से निबटने की पुख्ता व्यवस्था है या नहीं, इसकी जानकारी अग्निशमन विभाग को भी नहीं है.
जिन पांच बड़े अस्पतालों के पास अग्निशमन विभाग का एनओसी है, उनमें राज अस्पताल, आॅर्किड मेडिकल सेंटर, सेंटेविटा अस्पताल, रामप्यारी आर्थोपेडिक सेंटर एवं कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल शामिल हैं. राजधानी के कई ऐसे अस्पताल व क्लिनिक भी हैं, जहां आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां नहीं पहुंच पायेंगी. दरअसल, राजधानी में अस्पताल और क्लिनिक खाेलने के लिए बनाये गये नियमों का पालन नहीं किया जाता है और न ही सरकार की ओर से अस्पतालों में सुरक्षा और संरक्षा के बाबत निगरानी की जाती है.
रिम्स में लगा है फायर सिलिंडर
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के प्रबंधन का दावा है कि आग से निबटने के लिए उनके पास पर्याप्त व्यवस्था है. अस्पताल परिसर से लेकर महत्वपूर्ण वार्ड तक फायर सिलिंडर लगा दिये गये हैं. इसके अलावा रिम्स में आने-जाने के कई रास्ते है, जिससे किसी प्रकार का हादसा होने पर आसानी से निबटा जा सकता है. वहीं सदर अस्पताल में भी फायर सिलिंडर लगाया गया है.
विभाग ने शहर में पांच अस्पतालों को एनओसी दिया है. जिस अस्पताल ने एनओसी नहीं लिया है, उसके बारे में कैसे कहा जाये कि वहां आग से निबटने के लिए क्या व्यवस्था है.
आरके ठाकुर, स्टेट फायर ऑफिसर
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