रांची: राज्य के शहरों में विकास योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करने की जगह उसे खरीदा जायेगा. नगर विकास विभाग ने विकास योजनाओं में जमीन खरीदने के लिए प्रक्रिया निर्धारित की है. इसके लिए संबंधित जिलों के उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जायेगी. कमेटी में अपर समाहर्ता, नगर आयुक्त, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, संबंधित निबंधन कार्यालय के अवर निबंधक व संबंधित अंचल अधिकारी सदस्य होंगे.
कमेटी लोकहित में शुरू की जानेवाली परियोजनाओं जैसे, संयंत्र की स्थापना, सीवरेज-ड्रेनेज, सड़क, बाइपास सड़क, सड़क चौड़ीकरण, मार्केट भवन समेत अन्य नागरिक सुविधाओं को बहाल करने के लिए जमीन का मूल्य निर्धारित करेगी. जमीन की कीमत का निर्धारण पुनर्वास एवं पुनर्बंदोबस्ती अधिनियम 2013 के अंतर्गत किया जायेगा. जमीन की खरीदारी के लिए डीसी को 10 करोड़, आयुक्त को 10 करोड़ और नगर विकास एवं आवास विभाग को 25 करोड़ रुपये तक स्वीकृत करने की शक्ति प्रदान की गयी है.
मुआवजा से कम होगी लागत : लोकहित योजनाओं के लिए नगर निकाय जमीन की खरीद उसके अधिग्रहण के दौरान प्रदान की जानेवाली राशि मुआवजा राशि से कम होगी. संकल्प में यह साफ कर दिया गया है कि निजी भूमि की खरीद उसके देय मुआवजे से अधिक नहीं होनी चाहिए. जमीन की खरीद के लिए निर्धारित बाजार दर की स्टांप ड्यूटी एवं निबंधन शुल्क की गणना के लिए उपयोग किया जायेगा. लेकिन, इसके आधार पर भूमि मुआवजा की गणना नहीं की जायेगी.
बंदोबस्त की गयी जमीन की भी खरीदारी करेगा निकाय : संकल्प में सरकारी जमीन के बंदोबस्ती पट्टाधारकों से भी भूमि खरीदने की प्रक्रिया तय की गयी है. कहा गया है कि अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वनाधिकार) अधिनियम 2006 या किसी अन्य अधिनियम के अंतर्गत सरकारी बंदोबस्ती की जमीन पर दखल कब्जा होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को भू-स्वामी मानते हुए उससे जमीन की खरीद की जायेगी. जमीन की खरीद से पहले यह सुनिश्चित किया जायेगा कि जिस उद्देश्य से भूमि की बंदोबस्ती की गयी थी, उसी प्रयोजन से जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं. किसी अन्य प्रयोजन से जमीन का इस्तेमाल होता पाये जाने पर दखल कब्जा रखने वाले को अतिक्रमणकारी मानते हुए कार्रवाई की जायेगी.