हंगामा करनेवालों से क्षतिपूर्ति के रूप में दोगुनी राशि वसूलने का प्रावधान किया गया है. बताया गया कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसे विधानसभा में पेश किया जायेगा. आइएमए के राज्य सचिव डॉ प्रदीप सिंह का कहना है कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट बिहार, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश समेत देश के 18 राज्यों में लागू है.
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शव को रोके रखने पर अस्पतालों पर होगा केस
रांची: चिकित्सकों की मांग पर स्वास्थ्य विभाग मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को कैबिनेट के लिए भेजेगा. मंत्री ने इसकी मंजूरी दे दी है. पर राज्य सरकार ने इसमें डॉक्टरों के साथ-साथ मरीजों की सुरक्षा का भी प्रावधान किया है. नये प्रावधान के तहत अब पैसे के अभाव में शव को अस्पताल रोक नहीं सकता. उसे हर […]
रांची: चिकित्सकों की मांग पर स्वास्थ्य विभाग मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को कैबिनेट के लिए भेजेगा. मंत्री ने इसकी मंजूरी दे दी है. पर राज्य सरकार ने इसमें डॉक्टरों के साथ-साथ मरीजों की सुरक्षा का भी प्रावधान किया है. नये प्रावधान के तहत अब पैसे के अभाव में शव को अस्पताल रोक नहीं सकता. उसे हर हाल में परिजनों को सौंपना होगा. ऐसा नहीं करनेवाले अस्पतालों पर मुकदमा दर्ज करने व सजा का प्रावधान है. साथ ही लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान किया गया है.
एक्ट में यह भी प्रावधान किया गया है कि मरीजों को इलाज के बारे में संपूर्ण जानकारी दी जायेगी. जो जांच करायी जायेगी, वह कितना जरूरी है यह भी चिकित्सकों को बताना होगा. परिजनों की इजाजत से ही किसी भी प्रकार की जांच करायी जा सकेगी. इसे हॉस्पिटल प्रोटेक्शन एक्ट का नाम दिया जा रहा है. जहां डॉक्टर, नर्स, स्टाफ के साथ-साथ मरीजों की भी सुरक्षा होगी. किसी भी प्रकार की तोड़-फोड़ करने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है. एक्ट में यह लिखा गया है कि अस्पताल में ऐसे किसी हंगामे को गैरकानूनी माना जायेगा, जिससे अन्य मरीजों को तकलीफ हो. इसकी जांच के लिए डीएसपी स्तर के पदाधिकारी को ही प्रतिनियुक्त किया जा सकता है.
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