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15 नवंबर को हो जायेगा विलय सभी सहकारी बैंक एक होंगे

रांची: नाबार्ड के निर्देश पर राज्य के सभी सहकारी बैंक 15 नवंबर से एक हो जायेंगे. इसके लिए राज्य सरकार, स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक और जिला को-ऑपरेटिव बैंक के बीच नौ सितंबर 2016 को एमओयू हो चुका है. राज्य सरकार की ओर से अपर सचिव, राज्य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रतिनिधियों ने एमओयू […]

रांची: नाबार्ड के निर्देश पर राज्य के सभी सहकारी बैंक 15 नवंबर से एक हो जायेंगे. इसके लिए राज्य सरकार, स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक और जिला को-ऑपरेटिव बैंक के बीच नौ सितंबर 2016 को एमओयू हो चुका है. राज्य सरकार की ओर से अपर सचिव, राज्य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रतिनिधियों ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं.
रिजर्व बैंक ने 2012 में ही राज्य के सभी सहकारी बैंकों को एक हो जाने का निर्देश दिया था. सहकारी बैंकों के एक नहीं होने से इसका कामकाज जैसे-तैसे चल रहा है. निगरानी की उचित व्यवस्था नहीं है. बैद्यनाथन कमेटी ने भी सभी सहकारी बैंकों को एक हो जाने की अनुशंसा की थी.
घाटे में हैं बैंक
धनबाद को छोड़ राज्य के सभी बैंक घाटे में हैं. वित्तीय वर्ष 2014-15 तक स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक का घाटा 7.33 करोड़ रुपये था. गिरिडीह बैंक का 13.31 करोड़ तथा देवघर का घाटा 29.96 करोड़ रुपये था. हजारीबाग को 23.41 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. राज्य में कुल नौ को-ऑपरेटिव बैंक थे. इसमें डालटेनगंज का बैंक दिवालिया हो गया है. दिवालिया होने के समय इस बैंक का घाटा करीब 74 करोड़ रुपये था.
कई गड़बड़ियां हुईं
सहकारी बैंकों में इस दौरान कई गड़बड़ियां हुई हैं. यहां काम करनेवाले कर्मियों ने ही बैंकों के पैसे का गबन किया है. तोपचांची के पूर्व शाखा प्रबंधक राम प्रसाद महतो (अब स्व) पर एक करोड़ 25 लाख रुपये गबन का आरोप लगा था. सरकार ने इनकी संपत्ति भी अधिग्रहित कर ली है. यह मामला अभी न्यायालय में लंबित है. धनबाद में काम करने वाले कई पूर्व कर्मियों पर अभी भी मामला चल रहा है.
विसंगति की आशंका जतायी कर्मियों ने
सहकारिता बैंक में काम करने वाले कर्मियों ने मर्जर के बाद की विसंगतियों की आशंका जतायी है. झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक इम्पलाइज यूनियन ने विसंगतियों को अवगत कराने के लिए विभागीय सचिव से समय मांगा है. यूनियन के महासचिव एससी कर्मकार का कहना है कि कई बैंकों ने प्रमोशन दे दिया है. कुछ में प्रमोशन नहीं हुआ है. इससे जूनियर के सीनियर बन जाने की आशंका है. प्रोन्नति, के साथ-साथ एसीपी और एमएसीपी का मामला भी है. जिसे दूर करना जरूरी है.
राज्य गठन के बाद से ही यह प्रयास हो रहा था. अब तक नहीं हो पाया था. नयी सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण यह सफल हो पाया है. अब इसका संचालन बेहतर तरीके से होगा. इसको और समृद्ध भी किया जायेगा.
रणधीर कुमार सिंह, मंत्री, कृषि व सहकारिता

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