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वर्ल्ड हार्ट डे विशेष: भ्रांतियां जो दूर होनी चाहिए, अलग-अलग होते हैं हार्ट अटैक व स्ट्रोक
रांची. हार्ट अटैक और स्ट्रोक को लेकर लोग भ्रमित रहते हैं, लेकिन दोनों बिल्कुल अलग होता है. दोनों में अलग-अलग अॉर्गन को नुकसान पहुंचता है. हार्ट अटैक से हृदय को क्षति पहुंचती है. वहीं स्ट्रोक से दिमाग पर असर पड़ता है, लेकिन दोनों घातक व जानलेवा बीमारी है. हल्की सी लापरवाही से मरीज की मौत […]
रांची. हार्ट अटैक और स्ट्रोक को लेकर लोग भ्रमित रहते हैं, लेकिन दोनों बिल्कुल अलग होता है. दोनों में अलग-अलग अॉर्गन को नुकसान पहुंचता है. हार्ट अटैक से हृदय को क्षति पहुंचती है. वहीं स्ट्रोक से दिमाग पर असर पड़ता है, लेकिन दोनों घातक व जानलेवा बीमारी है. हल्की सी लापरवाही से मरीज की मौत तक हो सकती है.
आप कैसे पहचाने कि आपको दिल का दौरा पड़ा है?
दिल का दौरा पड़ने से सीने के मध्य भाग में तेज दर्द होता है. कई बार सीने में अत्यधिक दबाव महसूस होता है. सीने का दर्द बाईं ओर से बायें हाथ के नीचले भाग तक जाता है. जबड़े में दर्द, पीठ-पेट के ऊपरी हिस्से व गर्दन में दर्द महसूस होता है. सांस लेने में समस्या, मतली, उल्टी, ज्यादा पसीना हाेना आदि मुख्य लक्षण है. डायबिटीज रोगियों और महिला रोगियों में दिल के दौरा का पता नहीं चलता है. इसे साइलेंट हर्ट अटैक कहते हैं. कई बार मतली, अत्यधिक थकान, बेहोशी, चक्कर आना और सीने में दबाव, पीठ के ऊपरी हिस्से दर्द, अपच, गैस या एसिडिटी की वजह से हो सकता है. भ्रम दूर करने के लिए इसीजी व खून जांच कराना चाहिए.
कैसे पता किया जाये कि स्ट्रोक हुआ है या नहीं?
स्ट्रोक का सामान्य लक्षण शरीर के एक तरफ अचानक सुन्न होना या चेहरा का सुन्न होना है. इसके अलावा हाथ और पैर में कमजोरी भी मुख्य लक्षण हैं. कई बार व्यक्ति चक्कर आने के कारण भ्रमित हो जाता है. मरीज को गंभीर सिर दर्द की शिकायत भी रहती है.
दिल व स्ट्रोक की बीमारी में आहार का क्या रोल है?
दिल व स्ट्रोक की बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को सामान्य व संतुलित आहार लेना चाहिए. कम नमक वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए. संतुलित आहार लेना चाहिए. आहार विशेषज्ञ से परामर्श लेकर डायट का निर्धारण कराना चाहिए. इससे शरीर का वजन नियंत्रित रहता है. रोज ताजा फल, ताजी सब्जियां, साबूत अनाज, फलियां, नट व कम प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ लेना चाहिए. तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे कोलेस्ट्रॉल, सुगर लेबल व ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाता है.
व्यायाम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रह सकता है?
व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखता है. नियमित व्यायाम व योग से शरीर को की चरबी दूर होती है. विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो प्रतिदिन सुबह कम से कम आधा घंटा पैदल चलना चाहिए.
किसे कहते है दिल का दौरा ?
दिल का दौरा पड़ने से हृदय की मांसपेशियों में खून का थक्का जम जाता है. धमनियों में रुकावट हो जाती है. जानकारों के अनुसार हृदय की धमनी में 60 से 70 फीसदी रुकावट होने से सीने में तेज दर्द व एनजाइना होता है. इसे ही हार्ट अटैक कहते हैं.
किसे कहते हैं स्ट्रोक ?
स्ट्रोक सामान्य भाषा में ब्रेन अटैक को कहते हैं. जब रक्त का प्रवाह मस्तिष्क में सही से नहीं हो, तो इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है. ब्रेन स्ट्रोक से मस्तिष्क ऑक्सीजन से वंचित हो जाता है, जिससे व्यक्ति बेसुध हो जाता है. छोटे स्ट्रोक से व्यक्ति को मामूली समस्या होती है, लेकिन बड़े स्ट्रोक से व्यक्ति का शरीर पर से नियंत्रण खत्म हो जाता है. स्ट्रोक तीन प्रकार के होते है. पहला इस्कीमिक, दूसरा हेमोरेजिक स्ट्रोक व तीसरा मिनी स्ट्रोक. इस्कीमिक स्ट्रोक रक्त के थक्के के कारण होता है. हेमोरेजिक स्ट्रोक मस्तिष्क के रक्त वाहिकाओं के श्राव के कारण होता है. वहीं मिनी स्ट्रोक अस्थायी खून के थक्के के कारण होता है. कई बार स्ट्रोक से विकलांगता की नौबत आ जाती है.
हार्ट अटैक व स्ट्रोक में गोल्डन ऑवर महत्वपूर्ण
हार्ट अटैक व स्ट्रोक में गोल्डन आॅवर महत्वपूर्ण होता है. लक्षणों के आधार पर दिल के दौरा का निदान आसान नहीं है. अगर किसी को सीने में तेज दर्द होता है, तो उसे निकटतम अस्पताल में ले जाना चाहिए. तत्काल इसीजी करने से काफी हद तक यह पता किया जा सकता है कि मरीज को हार्ट अटैक हुआ है या नहीं. पुष्टि होने पर तत्काल मरीज को हार्ट सेंटर में शिफ्ट करना चाहिए. विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि अगर हार्ट अटैक का लक्षण हो, तो एक एस्पिरिन जीभ के नीचे दबा कर अस्पताल ले जाना चाहिए. वहीं स्ट्रोक में पहले घंटे मरीज के लिए महत्वपूर्ण है. इससे दिमाग को बड़ी क्षति से बचाया जा सकता है. इसके बाद मरीज को नजदीक के अस्पताल में ले जाना चाहिए, जहां सीटी स्कैन व एमआरआइ की सुविधा हो. अस्पताल में थ्रंबोलाइसिस सुविधा, न्यूरो इंटेंसिव केयर यूनिट होने से काफी हद तक मरीज को स्ट्रोक की परेशानियों से बचाया जा सकता है.
झारखंड में हर माह एक हजार लोगों को हार्ट अटैक
रांची. भारत में हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. युवा भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं. डब्ल्यूएजओ के अनुसार भारत में कम-से-कम 30 मिलियन हृदय रोगी हैं. अगर झारखंड की बात की जाये, तो हर माह यहां एक हजार से अधिक लोगों काे हार्ट अटैक होता है. इसमें से 10 प्रतिशत मरीजों का सही से इलाज नहीं हो पाता है. जागरूकता के अभाव में लोग गाेल्डन आॅवर में अस्पताल में नहीं पहुंच पाते है, जिससे उनके हृदय का मशल्स काफी क्षतिग्रस्त हो जाता है. इसके कारण इलाज के बाद भी रिस्क बढ़ जाता है. अमेरिकन हर्ट एसोसिएशन के अनुसार हार्ट अटैक होने पर एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाना चाहिए. इससे मरीज का जीवन सेफ हो जाता है.
हृदय रोगी की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण डायबिटीज, धूम्रपान करना व अल्कोहल का अत्यधिक सेवन करना है. कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने पर भी हार्ट अटैक होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर परिवार में किसी को हार्ट अटैक हुआ, तो अन्य सदस्यों को भी संभल कर रहना चाहिए.
डॉ दीपक गुप्ता
इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट
राज्य में 10 फीसदी लोग हैं हृदय रोग से पीिड़त
रांची . फोर्टिस आलम अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रितेश कुमार ने बताया कि राज्य में 10 फीसदी लोग हृदय की बीमारी से पीड़ित है. इसका मुख्य कारण धूम्रपान, जंक फूड का सेवन करना व गलत लाइफ स्टाइल है. वह वर्ल्ड हार्ट-डे की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इसीजी व इको से ही हृदय की बीमारी को पकड़ा नहीं जा सकता है. इसके लिए स्ट्रेस टेस्ट टीएमटी कराना जरूरी है. टीएमटी टेस्ट कराने से काफी हद तक यह पता किया जा सकता है कि मरीज हृदय रोगी है या नहीं. 60 फीसदी ब्लॉकेज में मरीज को किसी प्रकार का काेई लक्षण नहीं आता है. 70 से 95 फीसदी ब्लॉकेज में आराम की स्थिति में मरीज को एंजाइना होता है. 70 फीसदी ब्लॉकेज में मरीज का एंजियोप्लॉस्टी करना चाहिए. पुरुषों में 35 वर्ष व महिलाओं में 40 की उम्र के बाद नियमित जांच करानी चाहिए.
डॉ रितेश कुमार
हृदय रोग से बचना है तो फोलिक एसिड की दवा लें
रांची. मेदांता के कार्डियेक सर्जन डाॅ संजय कुमार ने बताया कि फोलिक एसिड की दवा का नियमित सेवन करने से हृदय की बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है. गर्भवती महिलाओं को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए. उनको पौष्टिक भोजन के साथ फोलिक एसिड की दवा पूरे गर्भधारण के समय लेनी चाहिए. डॉ संजय कुमार वर्ल्ड हार्ट-डे की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने बताया कि महिलाओं को ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है. वो अगर जागरूक होगी, तो अपने घर और बच्चों को जागरूक करेंगी. जिन बच्चों का वजन ढाई किलाे से कम होता है, उनको हार्ट की बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है.
समय से पहले होने लगी है यह बीमारी
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ नीरज प्रसाद ने कहा कि भारतीयों में
हार्ट अटैक समय से 15 साल पहले होने लगी है. इसका
मुख्य कारण लाेगों का लाइफ स्टाइल है. डायबिटीज व
धूम्रपान के कारण हृदय रोग की संभावना ज्यादा हो जाती है. अगर नियमित आधा घंटा व्यायाम किया जाये, तो हृदय रोग
से बचा जा सकता है.
हृदय रोगी हैं तो रिम्स में करायें इलाज
रांची : अगर आप हृदय रोगी हैं, तो रिम्स में इलाज कराये. यहां हृदय रोगियों के इलाज के लिए कार्डियोलॉजी की सुपरस्पेशियलिटी विंग है, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम है. हृदय रोगियों को यहां बेहतर व गुणवत्तापूर्ण इलाज की सुविधा मिलती है. कार्डियोलॉजी विंग का अपना आइसीयू है, जिसमें अत्याधुनिक मशीनें लगी हुई है. हाइटेक बेड है.
तीन हजार में एंजियोग्राफी : रिम्स में हृदय की धमनियों में हुए ब्लॉकेज की एंजियोग्राफी जांच मात्र तीन हजार रुपये में होती है. बीपीएल मरीजों की जांच बिल्कुल मुफ्त होती है. वहीं निजी अस्पतालों में एंजियोग्राफी जांच के लिए 4500-6000 रुपया देना पड़ता है.
एंजियोप्लास्टी की सुविधा भी मौजूद : रिम्स में एंजियोप्लस्टी की सुविधा भी है. प्रबंधन का दावा है कि एंजियोप्लास्टी के लिए मरीजों को 60 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. हालांकि रिम्स स्टेंट के लिए कंपनी से अनुबंध करनेवाला है, जिससे स्टेंट की कीमत और कम हो जायेगी.
शीघ्र शुरू होगा हार्ट का ऑपरेशन : रिम्स में हार्ट की सर्जरी भी शीघ्र शुरू होगी. इसके लिए सीटीवीएस विभाग को स्थापित किया जा रहा है. इस विंग के शुरू हो जाने से वाल्व प्रत्यारोपण, हार्ट का ऑपरेशन किया जायेगा. इसके लिए ओड़िशा के रहनेवाले डॉ मनोज की नियुक्ति की गयी है.
हृदय रोगियों के इलाज की पूरी सुविधा कार्डियोलॉजी विंग में है. अत्याधुनिक आइसीयू और उपकरण हैं. बीपीएल मरीजों का एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी मुफ्त में की जाती है. शीघ्र ही हार्ट की सर्जरी शुरू की जायेगी.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स
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