रांची: झारखंड के किसी भी जिले में अब तक भूमि बैंक नहीं बनाया गया है. तत्कालीन उद्योग मंत्री रवींद्र राय ने 50 हजार एकड़ का लैंड बैंक (भूमि बैंक) बनाने की घोषणा की थी. अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई भी नहीं की गयी है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राज्य के 24 जिलों में रैयती, गैर मजरुआ खास, गैर मजरुआ आम भूमि का ब्योरा देने में भी असमर्थता जतायी है. सिर्फ 10 जिलों से ही सूचना के अधिकार कानून 2005 के तहत एक वर्ष बाद आवेदक को जानकारी उपलब्ध करायी गयी है. गौरतलब है कि राज्य में भूमि के आंकड़े मुख्यालय स्तर पर नहीं हैं. जिलों में भी अपर समाहर्ता स्तर और उपायुक्त के स्तर पर भी यह जानकारी मुख्यालय को नहीं दी जा रही है.
सरकार के आंकड़ों में सिर्फ सिमडेगा, रामगढ़, खूंटी, गुमला, गोड्डा, देवघर, पाकुड़, गढ़वा, धनबाद और जामताड़ा जिले से ही उपरोक्त स्तर की जानकारियां उपलब्ध करायी गयी है. इसमें से गोड्डा, धनबाद, खूंटी, पाकुड़, गोड्डा जिले में ही उद्योगों के लिए जमीन दिये जाने की बातें कही गयी हैं. इन जिलों में अनुसूचित जनजाति के रैयतों की जमीन अधिक होने की पुष्टि की गयी है. सिमडेगा जिले में ठेठईटांगर, जलडेगा, बांसजोर का आंकड़ा सरकार की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया है.
दी गयी जानकारी में कहा गया है कि जामताड़ा के नारायणपुर में उद्योगों के लिए 163.80 एकड़ जमीन दी गयी है. धनबाद में मैथन पावर लिमिटेड को 1114.55 एकड़, गोड्डा में 11.18 एकड़ और खूंटी में इंडियन ऑयल को 27.99 एकड़ जमीन दी गयी है. पाकुड़ में पैनेम कोल माइंस को 1271.87 हेक्टेयर जमीन दी गयी है.