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डीबीटी से जुड़ेंगी कृषि विभाग की योजनाएं

पहल. केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने विभागीय कामकाज की समीक्षा की, कहा रांची : केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे, इसके लिए काम किया जा रहा है. योजनाओं को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम से जोड़ने की योजना है. इससे […]

पहल. केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने विभागीय कामकाज की समीक्षा की, कहा
रांची : केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे, इसके लिए काम किया जा रहा है. योजनाओं को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम से जोड़ने की योजना है. इससे विभाग से मिलनेवाली सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में जायेगी.
मंत्री श्री सिंह मंगलवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में झारखंड में संचालित कृषि से संबंधित सभी संस्थानों के कामकाज की समीक्षा कर रहे थे.
समीक्षा के बाद पत्रकारों को उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में झारखंड सरकार ने काफी अच्छा काम किया है. इस बार 8.30 लाख किसानों का फसल बीमा हुआ है. पिछले साल करीब 5.47 लाख किसानों का फसल बीमा हुआ था. झारखंड जैसे राज्य ने किसानों के हित के लिए खजाने पर पड़ने वाले बोझ की चिंता नहीं की है.
एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि तत्कालीन कुलपति को यहां काम करने की इच्छा नहीं थी. केवल पद की गरिमा देख कर कुलपति बन गये थे. उन्होंने संस्थान में कुछ नहीं किया. अब स्थिति बदल रही है. बहुत जल्द यह संस्थान समृद्ध हो जायेगा.
हर तीन माह में बैठक करें : मंत्री श्री सिंह ने कहा कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों का आपस में तालमेल होना चाहिए.
इसके लिए निर्देश दिया गया है कि राज्य के सभी संस्थान जिला स्तर पर हर तीन माह में बैठक करेंगे. राज्य स्तर की संस्थाएं छह माह में एक बार बैठक करेंगी. इससे लैब में होने वाले काम को लैंड तक ले जाया जा सकेगा.
बैठक में झारखंड के कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह, कृषि सचिव सह कुलपति डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, कृषि निदेशक जटाशंकर चौधरी, मत्स्य निदेशक राजीव कुमार, भूमि संरक्षण निदेशक एफएन त्रिपाठी, बीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरपी सिंह रतन आदि मौजूद थे.
मंत्री को दिया ज्ञापन : झारखंड कर्मचारी मजदूर संघ के सदस्यों ने कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को ज्ञापन देकर बीएयू में काम कर रहे दैनिक मजदूरों की सेवा स्थायी करने की मांग की. उन्होंने कहा कि यहां वर्षों से कई लोग दैनिक मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं. यहां स्थायी मजदूरों की कमी भी है. इसकी नियुक्ति की जानी चाहिए. दैनिक मजदूरों का एरियर भी बकाया है. इसका भी भुगतान अब तक नहीं हुआ है.
मछली उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर : श्री सिंह ने कहा कि झारखंड ने मछली उत्पादन के क्षेत्र में अच्छा काम किया है. राज्य आत्मनिर्भरता की ओर है. पिछले साल राज्य ने जरूरत की 90 फीसदी मछली का उत्पादन किया था. यहां का काम दक्षिण भारत के कई राज्यों के बाद काफी अच्छा है. यहां का केज कल्चर दूसरे के लिए उदाहरण बन रहा है.
झारखंड ने डोभा निर्माण की दिशा में अच्छा काम किया है. इससे भूमिगत जल को रिचार्ज करने में मदद मिलेगी. झारखंड के लिए एनडीडीबी ने 207 करोड़ रुपये की योजना मंजूर की है. झारखंड अग्रणी राज्यों की श्रेणी में बढ़ रहा है. बीएयू के वैज्ञानिकों ने कई वेराइटी तैयार किये हैं. उम्मीद है अगले पांच साल में झारखंड के किसानों की आय दोगुनी हो जायेगी.

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