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कुपोषण से लड़ना है, तो सामुदायिक आधारित योजना चलाना होगा
जिस समुदाय को संसाधन विहिन किया, वहां कुपोषण की शिकायत रांची : सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन का कहना है कुपोषण का मामला सामान्य है़ पौष्टिक और पर्याप्त भोजन की उपलब्धता से जुड़ा है़, लेकिन इसे तकनीकी और जटिल मामला बना दिया गया है़ सरकार ने कुपोषण से लड़ने के लिए जिस तरह के उपाय किये […]
जिस समुदाय को संसाधन विहिन किया, वहां कुपोषण की शिकायत
रांची : सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन का कहना है कुपोषण का मामला सामान्य है़ पौष्टिक और पर्याप्त भोजन की उपलब्धता से जुड़ा है़, लेकिन इसे तकनीकी और जटिल मामला बना दिया गया है़
सरकार ने कुपोषण से लड़ने के लिए जिस तरह के उपाय किये हैं, वह सामाजिक परिस्थितियों से विभिन्न है़ भोपाल, दिल्ली और रांची जैसे शहरों में बैठक कर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण के लिए मैन्यू तैयार किये जा रहे है़ संताल की जंगल में रहनेवाली महिला को साउथ का उपमा खिलाया जा रहा है़ कुपोषण के खिलाफ सामुदायिक आधारित योजना चलाने की जरूरत है़ पूरी लड़ाई में समाज को जोड़ना होगा़ पूरी योजना को विकेंद्रित करने की जरूरत है़
सरकार हजारों करोड़ों खर्च करती है, लेकिन कुपोषण खत्म नहीं हो रहा है़ सरकार को सोचना चाहिए कि ये पैसे कहां जा रहे है़ आम आदमी को भी इसका गणित समझने की जरूरत है़ सिविल सोसाइटी को आगे आना होगा़
कंपनी मुनाफा कमा रही है, चल रहा है गोरखधंधा
सचिन जैन कहते हैं कि पूरे अभियान में कंपनियां मुनाफा कमा रही है़ं हाल में मध्य प्रदेश मेें पोषणाहार की सप्लाई से जुड़ी कंपनियों पर आइटी का छापा पड़ा, तो सबकुछ सामने आ गया़
कंपनी ने पिछले दस वर्ष में व्यवसाय कर करोड़ों का मुनाफा कमाया़ आइटी के छापे में 100 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति स्वीकार करने के लिए तैयार थी़ कंपनी का दूसरा कोई काम नहीं था़ ये पैसे इसी व्यवसाय से आये़ सरकारी कंपनी ने जिन तीन कंपनियों को काम सबलेट किया था, वह सभी कंपनियां घुमाफिरा कर एक ही व्यक्ति से जुड़ीं थीं.
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