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लेवी को लेकर टीपीसी और भीखन के बीच चल रहे विवाद में कर दी गयी हत्या
खलारी में हुई फायरिंग में दो लोगों की हत्या का मामला सीआइडी रांची की टीम ने जांच कर रिपोर्ट सीआइडी मुख्यालय भेजा खलारी और आसपास के इलाके में सुशील श्रीवास्तव और किशोर पांडेय गिरोह के लोग भी सक्रिय दोनों गिरोह के बीच गैंगवार की आशंका रांची : खलारी थाना क्षेत्र के पिपरवार जीएम कार्यालय के […]
खलारी में हुई फायरिंग में दो लोगों की हत्या का मामला
सीआइडी रांची की टीम ने जांच कर रिपोर्ट सीआइडी मुख्यालय भेजा
खलारी और आसपास के इलाके में सुशील श्रीवास्तव और किशोर पांडेय गिरोह के लोग भी सक्रिय
दोनों गिरोह के बीच गैंगवार की आशंका
रांची : खलारी थाना क्षेत्र के पिपरवार जीएम कार्यालय के समीप फायरिंग में हुई लखन महतो और सुरेश गंझू की मौत की जांच सीआइडी ने पूरी कर ली है. सीआइडी ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि दोनों भीखन गंझू के करीबी थे.
दोनों कोयला के कारोबार से भी जुड़े थे और ट्रांसपोर्ट का काम करते थे. भीखन गंझू का विवाद इन दिनों टीपीसी के कुछ बड़े उग्रवादियों से ट्रांसपोर्टिंग के काम में लेवी वसूली को लेकर चल रहा है. दोनों भीखन गंझू का काम संभालते थे. इसलिए भीखन गंझू के विरोधी टीपीसी के उग्रवादियों ने दोनों की हत्या करवा दी, लेकिन हत्याकांड के पीछे टीपीसी के किस उग्रवादी का हाथ है. सीआइडी ने उसके नाम का जिक्र रिपोर्ट में नहीं किया है. सीआइडी ने रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि फायरिंग हत्या के लिए ही की गयी थी, लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी में आइपीसी की धारा 147 और 148 लगा कर मामले की गंभीरता को कम करने का प्रयास किया है. रांची सीआइडी टीम ने जांच रिपोर्ट सीआइडी मुख्यालय भेज दी है.
सीआइडी की जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि खलारी और आसपास के इलाके में सुशील श्रीवास्तव और किशोर पांडेय गिरोह के लोग भी सक्रिय रहते हैं. दोनों गिरोह के बीच पुरानी दुश्मनी है. दोनों गिरोह के अपराधियों को खलारी के कुछ स्थानीय लोग समर्थन करते हैं. इसलिए गैंगवार की भी संभावना बनी रहती है. इस दिशा में विशेष रूप से निगरानी रखने की आवश्यकता है, ताकि कोई दूसरी घटना न हो.
उल्लेखनीय है कि तीन सितंबर की शाम जीएम कार्यालय के समीप एक बोलेरो गाड़ी में सवार होकर कुछ लोग पहुंचे. बोलेरो में सवार लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. गोली सुरेश, जदगीश और लखन को लगी थी, जबकि एक व्यक्ति वहां से बच कर भाग निकला था.
घटना स्थल पर ही लखन महतो की मौत हो गयी थी. जबकि सुरेश और लखन को इलाज के लिए रिम्स भेजा गया था. बाद में सुरेश गंझू को बेहतर इलाज के लिए मेडिका में भरती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत सात सितंबर की सुबह हो गयी थी.
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