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हर चीज के लिए अदालत की शरण
खरी-खरी. झारखंड न्यायिक अकादमी में आयोजित राष्ट्रीय गोष्ठी में बोले जस्टिस टाटिया रांची : राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने कहा कि वर्तमान में सामाजिक व्यवस्था का सत्यानाश हो गया है. कानून भी फेल हो चुका है. नतीजतन लोगों को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है. जस्टिस टाटिया ने रविवार को […]
खरी-खरी. झारखंड न्यायिक अकादमी में आयोजित राष्ट्रीय गोष्ठी में बोले जस्टिस टाटिया
रांची : राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने कहा कि वर्तमान में सामाजिक व्यवस्था का सत्यानाश हो गया है. कानून भी फेल हो चुका है. नतीजतन लोगों को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है. जस्टिस टाटिया ने रविवार को झारखंड न्यायिक अकादमी में आयोजित न्याय के प्रभाव विषयक राष्ट्रीय गोष्ठी का उदघाटन किया़
उन्होंने कहा कि लोगों की मानसिक स्थिति प्रदूषित हो गयी है. सभी चीजों के लिए न्यायालय का शरण लिया जा रहा है. कानून तो एक डेकोरेटिव विषय है. इसकी व्याख्या न्यायालय में अधिवक्ता अलग-अलग तरीके से करते हैं. उन्होंने कहा कि डांस बार में बार गर्ल की आजीविका का मामला अब न्यायालय तय कर रहा है. उड़ता पंजाब फिल्म में गाली-गलौज के प्रकरण पर भी न्यायालय का हस्तक्षेप जरूरी हो गया है. निर्भया कांड का भी मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है. कई ऐसे गैर जरूरी मामले भी कोर्ट में आ रहे हैं. लीव इन रिलेशन के मामले से क्या मानव अधिकार का हनन नहीं हो रहा है. इस पर कोई गौर नहीं करता है. 50 फीसदी से अधिक बच्चों का यौन शोषण हो रहा है. यह शर्मनाक है.
समाज, राष्ट्र और मानवता सब कुछ कानून के भरोसे है. ऐसे में न्याय की व्याख्या करने के बजाय मानवता पर बात होनी चाहिए. हर चीज को कानून के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए. व्यवस्था परिवर्तन पर सबको बात करनी चाहिए, पर इसमें किसी की दिलचस्पी नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता आरएस चीमा ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक अवस्था में भारी अंतर होने की वजह से सभी मामले न्यायालय तक पहुंच रहे हैं. न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह व्यापारिक हो गयी है. न्यायिक व्यवस्था के नीचले स्तर पर भारी गिरावट भी हुई है. जिन लोगों के पास पैसा नहीं है, उन्हें न्याय भी नहीं मिलता है. न्यायालयों में अस्पतालों की तरह मामले आ रहे हैं. कॉरपोरेट घरानों के विकास से अब व्यवस्था भी बदल रही है. इन घरानों ने मीडिया पर भी अपना कब्जा कर रखा है. ऐसे में एक सामान्य आदमी को न्याय मिलना बहुत मुश्किल है.
महाधिवक्ता विनाेद पाेद्दार ने कहा कि न्याय को परिभाषित नहीं किया जा सकता है. निचली अदालत न्याय के सुलभ केंद्र हैं. एचइसी के सीएमडी अभिजीत घोष ने कहा कि कंपनी सामाजिक दायित्वों का भी निर्वाह कर रही है. अब तक कंपनी की तरफ से 50 हजार लोगों को रोजगार दिये जा चुके हैं. 25 हजार परिवारों की आजिविका एचइसी से चल रही है.
सीसीएल के निदेशक कार्मिक आरएस महापात्रा ने कहा कि कंपनी के खिलाफ दर्ज होनेवाले मुकदमों में भारी गिरावट हुई है. सीसीएल की तरफ से झारखंड के सात सौ बच्चों को 14 राष्ट्रीय खेल अकादमियों में प्रशिक्षित कर 2018 और 2022 के ओलंपिक और एशियाई खेलों में भेजा जायेगा. फिलहाल 78 का चयन किया जा चुका है. पूर्व विकास आयुक्त आरएस पोद्दार ने कहा कि देश भर की निचली अदालतों में 3.2 करोड़ मामले लंबित हैं.
उच्च न्यायालयों में 41.54 लाख और सर्वोच्च न्यायालय में 61300 मामले लंबित हैं. इन सबके लिए प्रत्येक 10 लाख लोगों के लिए 50 न्यायाधीशों की जरूरत है. महिला आयोग की अध्यक्ष महुआ माजी ने कहा कि आयोग के सीमित अधिकार हैं, पर वह बगैर पूर्वाग्रह से मामलों को निबटा रहा है. एचइसी के उप महाप्रबंधक हेमंत गुप्ता ने सामाजिक समरसता कायम करने और बराबरी का अधिकार देने की बात कही. हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता वी शिवनाथ ने वास्तविक जजमेंट देने की बात कही. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति आरके पांडेय,आइजी एमएस भाटिया व संपत मीणा ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
राज्य के 41 अनुमंडलाें में महिला थाना का गठन दर्ज किये जा रहे हैं प्रताड़ना के मामले : डीजीपी
डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि झारखंड पुलिस ने 41 अनुमंडलों में महिला थाना का गठन किया है. यहां पर महिलाओं और बच्चों की प्रताड़ना के मामले दर्ज किये जा रहे हैं. 412 थानों को नेटवर्किंग से जोड़ा जा चुका है. जल्द ही न्यायालयों को भेजा जानेवाला पुलिस प्रतिवेदन कंप्यूटर के जरिये भेजा जायेगा. उन्होंने कहा कि 1991 में रांची की आबादी दो लाख थी, जो आज 18 लाख पहुंच गयी है.
वाहनों की संख्या भी काफी बढ़ी है. ऐसे में सरकार की ओर से रांची समेत अन्य जगहों पर 18 यातायात थाने बनाये गये हैं. 16 माह में 625 नये थाने भी बनाये गये हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में 13 ऐसे क्षेत्र हैं, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. पुलिस महकमे की ओर से 32 हजार गांवों में से 786 गांवों का चयन किया गया है, जहां न्याय सुलभ नहीं है. यहां के स्कूलों में शिक्षक नहीं जाते हैं. चिकित्सक भी गायब रहते हैं. शौचालय नहीं है. सड़क व पुलिया नहीं है. ऐसे में सामाजिक परिकल्पना करना बेकार है. वहां 112 कैंप लगा कर 46 समेकित विकास केंद्र बनाये गये हैं. तीन हजार गांवों में ट्यूबवेल और शौचालय बनाने का निर्णय लिया गया है.
ये हुए सम्मानित : बेहतर कार्य के लिए झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह, जस्टिस प्रकाश टाटिया, एचइसी और सीसीएल के सीएमडी, डीजीपी डीके पांडेय, आइजी एमएस भाटिया, संपत मीना, रंजीत सिंह, डॉ एके गुप्ता, रांची विवि के कुलपति आरके पांडेय, गुरुनानक स्कूल के प्राचार्य डॉ मनोहर लाल, एमएमके स्कूल के डॉ तनवीर अहमद, बैजनाथ शाह, कमलाकर सिंह, डॉ एसपी मुखर्जी, डॉ कमल बोस, विपुल नायक, प्रियंका कुमार, अनुज कुमार सिंह समेत कई लोगों को जस्टिस भगवती अवार्ड से सम्मानित किया गया.
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