नक्शों के आवेदनों के माध्यम से होने वाली आय से आरआरडीए का काम चल रहा था. परंतु, वर्ष 2008-09 से नक्शा स्वीकृति का काम रांची नगर निगम को सौंप दिया गया. इसका असर आरआरडीए की वित्तीय स्थिति पर पड़ा. वर्तमान में आरआरडीए अपनी संपत्ति का व्यावसायिक इस्तेमाल कर किसी तरह से स्थापना खर्च जुटाने का काम कर रहा है. खराब वित्तीय हालात की वजह से आरआरडीए अपना मूल कार्य भी नहीं कर पा रहा है. विक्रय पत्र और दान से संबंधित निबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व से आरआरडीए का हिस्सा मिलने पर संस्था की स्थिति सुधर सकती है.
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आरआरडीए ने विक्रय पत्र के राजस्व में हिस्सा मांगा
रांची :रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) ने सरकार से विक्रय पत्र और दान के निबंधन से मिलने वाले राजस्व में अपना हिस्सा मांगा है. आरआरडीए अध्यक्ष परमा सिंह ने नगर विकास विभाग को पत्र लिख कर क्षेत्राधिकार में विक्रय पत्र और दान के लिए कराये जाने वाले निबंधन से होने वाली आय का पांच फीसदी […]
रांची :रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) ने सरकार से विक्रय पत्र और दान के निबंधन से मिलने वाले राजस्व में अपना हिस्सा मांगा है. आरआरडीए अध्यक्ष परमा सिंह ने नगर विकास विभाग को पत्र लिख कर क्षेत्राधिकार में विक्रय पत्र और दान के लिए कराये जाने वाले निबंधन से होने वाली आय का पांच फीसदी देने का आग्रह किया है.
पत्र में आरआरडीए की नियमावली का उल्लेख करते हुए संबंधित प्रावधान की जानकारी भी दी गयी है. कहा गया है कि आरआरडीए की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. आरआरडीए को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार की सहायता की जरूरत है. आरआरडीए के क्षेत्राधिकार में होने वाले विक्रय पत्र और दान से मिलने वाले राजस्व में नियमत: आरआरडीए का अधिकार बनता है. पूर्व में राज्य सरकार द्वारा राजस्व में आरआरडीए का हिस्सा प्रदान किया जाता था. परंतु, झारखंड गठन के बाद सरकार ने इसे बंद कर दिया. उस समय आरआरडीए को रांची नगर निगम क्षेत्र का नक्शा स्वीकृत करने की शक्ति प्रदत्त थी.
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