खूंटी/गुमला : कश्मीर के उड़ी में सेना के 12 ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में झारखंड के भी दो जवान शहीद हुए हैं. शहीद जावरा मुंडा खूंटी के मुरहू थाना क्षेत्र के मेराल के रहनेवाले थे. जबकि शहीद नायमन कुजूर गुमला के चैनपुर प्रखंड के कुरुमगढ़ थाना क्षेत्र के उरु गांव के निवासी थे. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शहीद के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है़ .
जवानों के शहीद होने की सूचना मिलने पर गुमला व खूंटी के डीसी-एसपी उनके गांव पहुंचे व परिजनों से मिले. शाम 6.20 बजे शहीदों के पार्थिव शरीर को सेना के विमान से रांची लाया गया. एयरपोर्ट पर सेना के जवानों ने पार्थिव शरीर को सलामी दी. राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने भी श्रद्धांजलि दी. पार्थिव शरीर को नामकुम स्थित सेना की छावनी में रखा गया है. सुबह खूंटी व गुमला ले जाया जायेगा.
नक्सलियों के गढ़ उरू में जन्मे थे नायमन
शहीद के गांव से दुर्जय
उड़ी में आतंकी हमले में शहीद हुए नायमन कुजूर का पैतृक गांव चैनपुर प्रखंड का कुरुमगढ़ थाना का उरू गांव है. उरू गांव गुमला से 15 किमी (जंगली रास्ता) दूर है. सड़क से जाने के लिए 80 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. मुख्य सड़क से गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है और नक्सल प्रभावित इलाका है. प्रशासन के अधिकारी भी कभी गांव नहीं जाते.
नायमन के शहीद होने की खबर मिलने पर सोमवार को प्रभात खबर की टीम शहीद के गांव पहुंची. नायमन कुजूर के शहादत की जानकारी गांव के लोगों को प्रभात खबर के माध्यम से ही मिली. परिजन के साथ पूरा गांव रो पड़ा. पूरा गांव शहीद को एक बार देखना चाह रहा है.
वृद्ध पिता ने 15 किमी साइकिल चलायी
शहीद के पिता का नाम महानंद कुजूर है. वृद्ध हैं, लेकिन बेटे के शहीद होने की सूचना पर साइकिल से 15 किमी की दूरी तय कर गुमला पहुंचे. वे जंगल व पहाड़ से होते हुए सोकराहातू के मार्ग से होकर गुमला आये और फिर बस में बैठ कर रांची अपने बेटे के शव को लेने पहुंचे. साथ में उनके रिश्तेदार भी रांची पहुंचे हैं.
चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे नायमन
शहीद नायमन कुजूर अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे. बड़ा भाई सागरस कुजूर खेतीबारी करते हैं. नेम्हस कुजूर सेना में और जगदीश कुजूर झारखंड पुलिस में जवान हैं. मां सुशांति कुजूर नायमन के रांची स्थित कोकर खोराटोली के घर में रहती हैं. नायमन की पत्नी वीणा तिग्गा व सात साल का बेटा अभिनव कुजूर भी रांची में ही रहते हैं. शहीद नायमन कुजूर सेना में नौकरी करने से पहले खेलकूद में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे. वह एक अच्छा फुटबॉलर थे. उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई. इसके बाद वर्ष 2007 में वह सेना में भरती हुए. ग्रामीण बताते हैं कि नायमन जब भी गांव आता था, तो गांववालों के लिए कुछ-न-कुछ सामान जरूर लेकर आता था.
नायमन की पत्नी वीणा की सहेली शालिनी ने कहा बात से नहीं होगा, कठोर कदम उठाये सरकार
रांची. कोकर के खोरहाटोली में नायमन की पत्नी वीणा की सहेली शालिनी ने कहा कि सरकार कठोर कदम उठाये. सरकार को सोचना चाहिए कि हम इतनी कम उम्र में विधवा हो जाते हैं. हमारे बच्चे अनाथ हो जाते हैं. बात से कुछ नहीं होगा. शालिनी के पति बिहार रेजिमेंट में कार्यरत हैं और उड़ी में ही पोस्टेड हैं. उन्होंने बताया कि हमले के बाद उनकी अपने पति से बात हुई. बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया था कि सुबह का वक्त था और नायमन उठ कर अपने सुबह के काम में व्यस्त थे. तभी ग्रेनेड हमला हुआ, जिसमें वह शहीद हो गये. शालिनी ने कहा कि हम चाहते हैं कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाये. इससे किसी को नुकसान न पहुंचे, न भारत की जनता को और ना ही पाकस्तिान की जनता को. नागरिक दोनों ओर के सुरक्षित रहें.
कुछ अलग थे नायमन : नायमन की मकान मालकिन आनंदनी ने बताया कि नायमन कुछ अलग थे. उन्होंने कहा कि उनकी हर बात उन्हें अच्छी लगती थी. वह हमेशा देशभक्ति की बातें किया करते थे. पिछली बार जब वह रांची आये, तो उनसे कई मुद्दों पर बातें हुईं. उनकी शहादत देश हमेशा याद रखेगा. उन्होंने कहा कि देश के लिए जान देने से बड़ा कोई काम नहीं. नायमन के दोस्त आलोक ने बताया कि बात-विचार में वह काफी अच्छा था. उसकी शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए.
बचपन से सेना में जाने का था जुनून खूंटी के जावरा मुंडा को पीछे छोड़ गये हैं तीन बेटियां
खूंटी : गरीब आदिवासी घर में जन्मे जावरा मुंडा को शुरू से सेना में भरती होकर देश सेवा में जाने का जुनून था. वर्ष 2005 में वह सेना में भर्ती हुए. नियुक्ति के बाद से वह लगातार कश्मीर में ही तैनात रहे. उनके शहीद होने की खबर मिलते ही गांव मातम का माहौल है. ग्रामीण बताते हैं : वह शुरू से ही कहता था कि सेना में नौकरी करेगा. देश के लिए काम करेगा. देश के लिए जान भी देना पड़े, तो वह पीछे नहीं हटेगा.
सेना मुख्यालय ने सोमवार की सुबह जावरा मुंडा के परिवार के लोगों को उनके शहीद होने की सूचना दी. जिसके बाद जावरा मुंडा की पत्नी झिंगी देवी की तबीयत खराब हो गयी. झिंगी देवी के बेहोश होने पर लोग उन्हें सदर अस्पताल, खूंटी ले गये. चिकित्सकों ने उन्हें स्लाइन चढ़ाया, जिसके बाद उनकी स्थिति कुछ ठीक हुई. जावरा मुंडा की तीन बेटियां हैं. बड़ी बेटी संध्या कक्षा आठ में और सुषमा क्लास तीन में पढ़ती है और छोटी शिल्पा अभी तीन साल की है. जावरा के पिता की मृत्यु करीब तीन साल पहले हो गयी थी.
गांव का हर युवा फौज में जाने को तैयार
मेराल गांव के गोपाल मुंडा, दाऊद मुंडा (शहीद का भाई), कमल मुंडा सहित दर्जनों साक्षर युवकों का कहना है जबरा के शहादत से गांव का सिर गर्व से ऊंचा हुआ है. युवकों ने कहा कि वह भी पढ़ाई पूरी कर सेना ज्वाइन करेंगे.
ग्रामीणों ने कहा : काफी नेक इंसान थे जावरा मुंडा
गांव के राजेश मांझी, शिवराम मुंडा, सुखदेव मुंडा, रूपेश मांझी का कहना है कि जावरा नेक इंसान थे. गांव के हर घर में जाना, सुख-दुख पूछना, साक्षर युवकों को फौज में जाने के लिए प्रेरित करना उनकी आदत थी. छुट्टी से लौटने के क्रम में उन्होंने कहा कि बॉर्डर की स्थिति ठीक नहीं है.
शहीद जवानों का पार्थिव शरीर रांची आया, श्रद्धांजलि देने पहुंचीं राज्यपाल ने कहा अब इंतजार नहीं, कदम उठाना चाहिए
उड़ी में हुए आतंकी हमले में झारखंड के भी दो लाल शहीद हुए हैं. उनका पार्थिव शरीर सोमवार को जब रांची एयरपोर्ट पर लाया गया, तो वहां गम और गुस्से का माहौल एक साथ दिखा. लोगों की आंखों में आंसू और आक्रोश दोनों दिख रहे थे. राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने भी श्रद्धांजलि देने के बाद कहा कि अब ठोस कदम उठाने का समय आ गया है. अब और इंतजार नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही पूरे शहर में लोगों ने आतंकियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और भारत सरकार से अब ठोस कदम उठाने की मांग की. इधर शहीदों के घरों में मातम छाया हुआ था.
श्रीनगर में आतंकी हमले में शहीद हुए तीन जवानों का पार्थिव शरीर सोमवार को गजराज (विशेष विमान) से शाम 6.15 पर रांची लाया गया. झारखंड के दो शहीद जवान नायमन कुजूर, जावरा मुंडा व एक अन्य जवान एसके विद्यार्थी का पार्थिव शरीर लाया गया. एयरपोर्ट के ओल्ड टर्मिनल बिल्डिंग में राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अब एक्शन लेने का समय आ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह हाई लेबल मीटिंग कर रहे हैं. केंद्र सरकार को अब तत्काल कदम उठाना चाहिए. इंतजार का समय समाप्त हो गया है. पाकिस्तान ने कारगिल में भी धोखे से जवानों को मारा था. वह बार-बार इस तरह की हरकत कर रहा है. प्रधानमंत्री व गृहमंत्री निश्चित ही कदम उठायेंगे. गृहमंत्री व रक्षा मंत्री ने घटना के बाद बयान भी दिया है. राज्यपाल ने कहा कि सरकार शहीद के परिवार के साथ है. उन्होंने शहीद जवान नायमन कुजूर की पत्नी वीणा कुजूर, मां सुरेसंती कुजूर से एयरपोर्ट पर भेंट की. कहा हम सब का बेटा शहीद हुआ है. हम सब आपके साथ हैं. एयरपोर्ट पर शहीद जवान जावरा मुंडा व एसके विद्यार्थी को मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, अमर बाउरी, उपायुक्त मनोज कुमार, सेना के अधिकारी सहित कई राजनीति दलों के नेता ने श्रद्धांजलि दी. सेना के जवानों द्वारा मातमी धुन बजाया गया.
बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. भारी संख्या में सेना के जवानों के अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, मीडियाकर्मी, अधिकारियों का जमावड़ा दोपहर एक बजे से ही एयरपोर्ट पर जुटने लगा था. जैसे ही पार्थिव शरीर शाम 6.15 बजे सेना के ट्रक से लाया गया. लोगों की आंखें नम हो गयीं. सेना द्वारा श्रद्धांजलि देने के बाद पार्थिव शरीर को नामकुम कैंट ले जाया गया. मंगलवार को तीनों पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव ले जाया जायेगा.
मां और पत्नी बार-बार हो रही थी बेहोश
शहीद जवान नायमन कुजूर की पत्नी वीणा कुजूर, मां सुरेसंती कुजूर, बेटा अभिनव कुजूर, भाई नेहमास कुजूर, संघरस कुजूर, जगदीश कुजूर, बहन हीरामणी कुजूर एयरपोर्ट पहुंचे थे. मां और पत्नी दहाड़ मारकर रो रही थी. वहीं लोगों द्वारा ढाढ़स भी बंधाया जा रहा था. मां बार-बार कह रही थी कि इतना पढ़ाया-लिखाया, कहां चला गया. अब कौन देखेगा परिवार को और बेसुध हो जा रही थी. परिजनों द्वारा बार-बार पानी छींट कर उन्हें होश में लाया जाता था. वहीं करीब तीन वर्ष का पुत्र अभिनव कुजूर मां को रोता देख कर वह भी रोने लगता था. बहन उसे चुप कराती थी. नयमन कुजूर का पार्थिव शरीर एयरपोर्ट पर आते ही एक बार फिर एयरपोर्ट परिजनों के रुदन से गूंजने उठा था. मां राज्यपाल को बार-बार पकड़ कर कह रही थी, कहां चला गया मेरा बेटा.
जैसे को तैसा जवाब मिलना चाहिए : वीणा कुजूर
शहीद जवान नायमन कुजूर की पत्नी वीणा कुजूर ने कहा कि जैसे को तैसा जवाब मिलना चाहिए. मीटिंग से सिर्फ नहीं होगा. कब तक हमारे देश के जवान यूं ही शहीद होते रहेंगे. सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पति का सपना था कि बेटा अभिनव कुजूर को पायलट बनायें. अब वह अपने पति के सपना को पूरा करेंगी.
उड़ी के शहीदों को दी गयी श्रद्धांजलि., पाकिस्तान मुर्दाबाद के लगे नारे पाक प्रधानमंत्री का पुतला फूंका
जम्मू-कश्मीर के उड़ी सेक्टर में सैन्य कैंप पर हुए आतंकी हमले के विरोध में सोमवार को शाम में बूटी मोड़ स्थित शिवाजी चाैक पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए. शहीद सैनिकों की शहादत का बदला लेने की मांग की. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का पुतला फूंका गया.
पाक की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत सरकार से निर्णय लेने की मांग की गयी. बूटी मोड़ पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से गूंज रहा था. भूतपूर्व सैनिकों के अलावा बूटी मोड़, डुमरदगा, सैनिक कॉलोनी, बांधगाड़ी, किशुनपुर, खिजूरटोला के सैकड़ों लोगों ने कैंडल मार्च निकाला. प्रदर्शनकारी हाथों में कैंडल लिये झारखंड युद्ध स्मारक की अोर रवाना हुए. कई प्रदर्शनकारी हाथों में पुतला व बैनर लिये हुए थे. कैंडल मार्च में महिलाएं भी शामिल थीं. उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. झारखंड हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता पीसी त्रिपाठी ने कहा कि सैनिकों का मनोबल बनाये रखने के लिए फाैज को जम्मू- कश्मीर में कार्रवाई करने के लिए पूरी आजादी दी जानी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अब सिर्फ आर-पार का ही विकल्प रह गया है. पाक अपने धोखे की राजनीति से बाज नहीं आनेवाला है. उसे सबक सिखाने का समय आ गया है. इस अवसर पर कर्नल देव, कर्नल डीएन दुबे, टीके त्रिपाठी, सुबेदार रतन सिंह, कैप्टन केसी गुप्ता, सुबेदार आरबी तिवारी, राजाराम सिंह, टीके उपाध्याय, सलीम, अहमद, मुन्नाजी, केडीपी सिंह, एसबी अोझा, आरपी सिंह, केपी सिंह, यूके प्रसाद, बबलू तिवारी, दिलीप कुमार, आरके सिंह, सुबेदार एसके सिंह सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे.