रांची: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को मेन रोड में अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने 13 वर्षो में भी मेन रोड के चौड़ीकरण और पार्किग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने पर नाराजगी जतायी. कहा: अधिकारियों में दूर दृष्टि का अभाव है. इससे लोगों का जीवन कठिन होता जा रहा है.अधिकारियों की सोच पर ही जनता का भविष्य टिका होता है. अधिकारियों को दूर दृष्टि रखनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि भविष्य की कार्य योजना की जानकारी दें. कैसे पार्किग की समस्या दूर की जायेगी. सड़क के चौड़ीकरण के लिए क्या कार्रवाई की गयी, मेन रोड में अनधिकृत निर्माण कैसे हटेंगे या उन्हें नियमित किया जायेगा, इस बाबत शपथ पत्र के माध्यम से कार्य योजना प्रस्तुत की जाये. पथ निर्माण विभाग के सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए पूछा कि फ्लाइ ओवर के निर्माण के लिए क्या कार्रवाई की गयी है. डीपीआर बना है, तो उसे भी प्रस्तुत किया जाये. उपायुक्त, आरआरडीए व नगर निगम को शपथ पत्र दायर कर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की सुनवाई जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में हुई.
सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम के सीइओ मनोज कुमार सशरीर उपस्थित हुए. खंडपीठ ने सीइओ से पूछा कि प्रत्येक वर्ष कितने वाहनों का निबंधन हो रहा है. सड़कों पर किस रफ्तार से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, इसकी जानकारी सीइओ नहीं दे पाये. जवाब से असंतुष्ट खंडपीठ ने निगम को निर्देश दिया कि मेन रोड पर दो स्थानों पर 1000-1000 से अधिक वाहनों की पार्किग की व्यवस्था की जाये.
बहु मंजिली इमारतों में पार्किग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि नगर निगम कागजी शेर बन कर रह गया है. धरातल पर कोई योजना नहीं है. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि सरकार ने चार फ्लाइ ओवर बनाने का निर्णय लिया था. डीपीआर भी बनाया गया, लेकिन राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण फ्लाइ ओवर निर्माण का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी आशीष कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर कर मेन रोड में अतिक्रमण हटाने के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.