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पांच महीने गुजरे, नहीं मिला विधायक फंड

नाराजगी बढ़ी. डीसी बिल की वजह से फंसा मामला, 82 विधायकों में मात्र विमला प्रधान के क्षेत्र में पहुंची राशि रांची : वित्तीय वर्ष (2016-17) के पांच महीने गुजर गये विधायकों को क्षेत्र के विकास के लिए खर्च करने वाला फंड नहीं मिला. इसके तहत विधायकों को विकास मद में खर्च करने के लिए 3 […]

नाराजगी बढ़ी. डीसी बिल की वजह से फंसा मामला, 82 विधायकों में मात्र विमला प्रधान के क्षेत्र में पहुंची राशि
रांची : वित्तीय वर्ष (2016-17) के पांच महीने गुजर गये विधायकों को क्षेत्र के विकास के लिए खर्च करने वाला फंड नहीं मिला. इसके तहत विधायकों को विकास मद में खर्च करने के लिए 3 करोड़ की राशि मिलनी थी. बजट में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसके अतिरिक्त सिंचाई योजना के लिए एक करोड़ विधायकों को अतिरिक्त देने की घोषणा की थी. बजटीय प्रावधान भी किया गया, लेकिन यह राशि भी विधायकों को नहीं मिली.
विधानसभा के 82 (मनोनित) विधायकों में मात्र सिमडेगा की विधायक विमला प्रधान के क्षेत्र के लिए विधायक फंड अब तक रिलीज किया गया है. इधर विधायक फंड निर्गत होने में हो रही देरी से पक्ष-विपक्ष के विधायक नाराज हैं. अग्रिम के खर्च का हिसाब यानी डीसी बिल जमा नहीं होने के कारण वित्त विभाग ने वर्तमान वित्तीय वर्ष की राशि रोक रखी है.
विधायकों की दलील है कि विधायक फंड खर्च करने की प्रक्रिया में उन्हें योजनाओं की अनुशंसा का अधिकार है. जिले में अधिकारियों की कमी या कभी-कभी लापरवाही के कारण समय पर डीसी बिल जमा नहीं हो पाता है. विधायकों का यह भी कहना है कि कई योजनाएं लंबी चलती हैं. योजना पूर्ण किये बिना डीसी बिल देना संभव नहीं होता है.
80 प्रतिशत डीसी बिल जमा करने का है प्रावधान : अग्रिम के खर्च का 80 प्रतिशत हिसाब देने का प्रावधान वित्त विभाग ने बनाया है. पिछले वित्तीय वर्ष के खर्च का हिसाब जिलों से विभाग को नहीं मिला है. इसका हवाला दे कर वित्त विभाग ने राशि राेकी है.
विधानसभा में उठता रहा है मामला : विधायक फंड जारी करने में देरी पहले भी होती रही है. डीसी बिल के चक्कर में पहले भी मामला फंसा है. कई बार यह मामला विधानसभा में उठा है.
पिछली बार मुख्यमंत्री रघुवर दास के आश्वासन के बाद नियमों शिथिल कर विधायक फंड रिलीज किया गया था. पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने डीसी बिल जमा करने में होने वाली देरी को लेकर स्थायी समाधान निकालने की बात कही थी.
एजी की आपत्ति, विभागों ने 6 हजार करोड़ का हिसाब नहीं दिया : विकास योजनाओं का समय पर हिसाब नहीं देने के मामले में महालेखाकार (एजी) समय-समय पर आपत्ति करता रहा है. राज्य में विभिन्न विभागों ने छह हजार करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिया है. समय पर कई विभागों ने डीसी बिल जमा नहीं किया है. योजनाओं में खर्च की गयी राशि का हिसाब वर्षों से लंबित है
सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर का कहना है कि कई विभागों ने खर्च का हिसाब नहीं दिया है. एजी की रिपोर्ट में साफ है कि विभागीय स्तर पर लापरवाही हो रही है. विभागों का पैसा नहीं रोका जाता है, तो फिर केवल विधायक फंड पर ही रोक क्यों है? सरकार इस पर स्पष्ट नीति बनाये. जनता के प्रति विधायक की जवाबदेही है. इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए. जिला में अधिकारियों की जवाबदेही तय हो, जिससे समय पर डीसी बिल जमा हो सके.
विपक्षी विधायक कुणाल षाड़ंगी कहते हैं कि नियम-कानून की पेच में जनता का नुकसान हो रहा है. जनता को एसी-डीसी बिल से लेना-देना नहीं है. उसे विकास चाहिए. वित्तीय वर्ष का आधा समय गुजर गया. क्षेत्र में हम किसी योजनाओं पर विचार नहीं कर पा रहे हैं. सरकार विकास का ऐसा मॉडल रखेगी, तो कभी भी जमीन पर काम नहीं दिखेगा. एसी-डीसी बिल समय पर जमा करने की जवाबदेही विधायक की नहीं है. जिला में अधिकारियों को जवाबदेह बनाये.
लटकाया जाता है मामला : प्रकाश राम
विपक्ष के विधायक प्रकाश राम का कहना है कि समय परकभी भी क्षेत्र के विकास लिए पैसे नहीं मिले हैं. जनता अफसरों से नहीं पूछती, जनप्रतिनिधि से सवाल करती है. विकास का काम प्रभावित हो रहा है. मामले को जानबूझ कर लटकाया जाता है. सरकार मामले को गंभीरता से लेते हुए विधायक फंड रिलीज कराये.
नौकरशाह कर रहे हैं मनमानी : डॉ इरफान
कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी ने कहा है कि राज्य में नौकरशाह मनमानी कर रहे हैं. जानबूझ कर मामला लटकाने की प्रवृत्ति हो गयी है. विधायक फंड समय पर नहीं दे सकते, तो इसे स्थायी रूप से बंद कर देना चाहिए. नौकरशाहों के नाम ही फंड जारी कर देना चाहिए. सरकार जनप्रतिनिधियों को अपमानित करने में लगी है.

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