यही नहीं उक्त छात्रा की जमा तसवीर में साइकिल एवन कंपनी की है, जबकि बिल हीरो साइकिल का जमा किया गया है. दरअसल सरकारी निर्देश के बाद प्राचार्य ने आठवीं में पढ़े रहे सभी 28 विद्यार्थियों को साइकिल खरीद कर बिल व फोटो यथाशीघ्र जमा करने को कहा था.
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साइकिल ए वन की, बिल हीरो का
रांची: साइकिल वितरण योजना के लाभुक विद्यार्थियों से क्रय की गयी साइकिल का बिल तथा साइकिल के साथ अपनी फोटो विद्यालय में जमा करने को कहा गया है. साइकिल खरीद सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश दिया गया है. इसके बाद अनगड़ा के राजकीय मध्य विद्यालय की एक छात्रा (नाम नहीं दिया जा रहा) ने […]
रांची: साइकिल वितरण योजना के लाभुक विद्यार्थियों से क्रय की गयी साइकिल का बिल तथा साइकिल के साथ अपनी फोटो विद्यालय में जमा करने को कहा गया है. साइकिल खरीद सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश दिया गया है. इसके बाद अनगड़ा के राजकीय मध्य विद्यालय की एक छात्रा (नाम नहीं दिया जा रहा) ने बिल व साइकिल के साथ ली गयी तसवीर स्कूल में जमा की है. शिक्षकों ने पाया कि इस बिल की तारीख व रकम पर अोवर राइटिंग की गयी है.
साइकिल खरीद योजना में गड़बड़ी का यह नमूना भर है. कई मामले में विद्यार्थी खुद या फिर उनके अभिभावक साइकिल खरीदने के लिए मिली राशि कहीं अौर खर्च कर रहे हैं. प्रभात खबर ने कुछ माह पहले इस मुद्दे से संबंधित खबर छापी थी. इसमें जिक्र था कि बच्चे साइकिल के पैसे से चश्मा, मोबाइल व जूते खरीद रहे हैं. दरअसल सरकारी स्कूलों के आठवीं कक्षा में पढ़ रहे विद्यार्थियों को सरकार साइकिल देती है.
एससी, एसटी व अल्पसंख्यक बच्चों को कल्याण विभाग तथा जेनरल केटेगरी के बच्चों को मानव संसाधन विभाग की ओर से साइकिल मुहैया करायी जाती है. पहले लाभुकों को सीधे साइकिल दी जाती थी. पर अब उनके एकाउंट में तीन-तीन हजार
रुपये हस्तांतरित किये जाते हैं. इससे बच्चे अपनी पसंद की साइकिल खरीद सकते हैं. पर कई मामले में ऐसा नहीं हो रहा है.
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