किसी तरह परिजनों ने उन्हें संभाला. अंतिम संस्कार के दौरान राज्य सभा सांसद प्रदीप बलमुचू, पूर्व मंत्री गीता श्री उरांव, आइजी के पद से रिटायर्ड दीपक वर्मा, लक्ष्मण प्रसाद, शीतल उरांव, ग्रामीण एसपी राज कुमार लकड़ा, सिटी एसपी कौशल किशोर, एसीबी के एसपी अमरनाथ मिश्रा, आलोक कुमार, सीआइडी के एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, स्पेशल ब्रांच के एएसपी अजीत पीटर डुंगडुंग, एसपी अश्विनी सिन्हा, सिटी डीएसपी शंभु सिंह, कोतवाली डीएसपी बहामन टूटी, एसीबी के डीएसपी सादिक अनवर रिजवी सहित पुलिस के कई अन्य अधिकारी, नेता, परिजन और मित्र के अलावा बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे. इससे पहले आनंद जोसेफ तिग्गा के शव को साथ लेकर परिजन और पुलिस अधिकारी पुरूलिया रोड स्थित संत मरिया महागिरजाघर पहुंचे. वहां अंतिम प्रार्थना की गयी. इस दौरान भी बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी, परिजन और मित्र पहुंचे थे.
प्रार्थना के दौरान आंनद जोसेफ तिग्गा के बारे में कहा गया कि वह आदिवासी समाज के लिए चमकता हुआ सितारा थे. उनके आकस्मिक निधन से आदिवासी समाज को बड़ा नुकसान हुआ है. यह भी कहा गया आनंद जोसेफ तिग्गा समाज के सभी लोगों के बीच लोकप्रिय थे. उनकी लोकप्रियता इसी से पता चलता है कि उनके अंतिम दर्शन के लिए चर्च में सभी समाज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे. प्रार्थना के बाद शव को पुलिस की सुरक्षा में कांटाटोली स्थित आरसी चर्च कब्रिस्तान में लाया गया. चर्च से लेकर कांटाटोली स्थित कब्रिस्तान के बीच अंतिम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. कब्रिस्तान में प्रार्थना के बाद आनंद जोसेफ तिग्गा का शव दफनाया गया. आनंद जोसेफ तिग्गा की मौत से उनके कई करीबी लोग अभी तक सदमे में हैं. उन्हें इस बात का एहसास नहीं हो रहा कि उनकी मौत हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि गुरुवार को कुड़ू-चंदवा मुख्य मार्ग पर पचंबा मोड़ के समीप दुर्घटना में आंनद जोसेफ तिग्गा घायल हो गये थे. उन्हें इलाज के लिए मेडिका में भरती कराया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. उनकी मौत रांची लाने के दौरान बीच रास्ते में हो गयी थी.
हेलीकॉप्टर व पायलट को जाने के लिए तैयार करने, चंदवा में लैंड करने, फिर बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से मेडिका अस्पताल पहुंचाने में उतना ही समय लगता. उल्लेखनीय है कि स्व तिग्गा की दुर्घटना सुबह के करीब 9.30 बजे हुई थी और उन्हें दिन के 12 बजे मेडिका अस्पताल पहुंचाया गया. इस दौरान करीब 2.30 घंटे का समय बीता. पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या प्रशासन ऐसा इंतजाम नहीं कर सकता कि हेलीकॉप्टर और पायलट हमेशा तैयार रहे. रांची में मेडिका व रिम्स के नजदीक हेलीपैड तैयार किया जाये, जिसका इस्तेमाल ऐसे मुश्किल वक्त में किया जाये. वैसे रांची में मेन रोड के राज अस्पताल की छत पर, खेलगांव, मोरहाबादी, रिम्स मैदान और सीएम हाउस के पीछे एक-एक हेलीपैड है, लेकिन इसका इस्तेमाल कम ही होता है. अधिकारियों के मुताबिक झारखंड नक्सल प्रभावित राज्य है. दूर-दराज के इलाकों में नक्सलियों व पुलिस के साथ मुठभेड़ में पुलिस के जवान घायल होते हैं. इसलिए 24 घंटा ऐसा इंतजाम होना चाहिए, जिसमें घायल को बिना कोई देर किये रांची लाकर बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सके.