18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विधानसभा सचिवालय ने पीएजी को भी नहीं दी नियुक्ति घोटाले की फाइल

ऑडिट का काम अधूरा छोड़ना पड़ा शकील अख्तर रांची : विधानसभा सचिवालय ने प्रधान महालेखाकार (पीएजी) के ऑडिट टीम को भी नियुक्ति व प्रोन्नति घोटाले से जुड़े दस्तावेज नहीं दिये. पीएजी और विधानसभा अध्यक्ष के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद दस्तावेज नहीं मिलने की वजह से ऑडिट का काम अधूरा छोड़ना पड़ा. पदों […]

ऑडिट का काम अधूरा छोड़ना पड़ा
शकील अख्तर
रांची : विधानसभा सचिवालय ने प्रधान महालेखाकार (पीएजी) के ऑडिट टीम को भी नियुक्ति व प्रोन्नति घोटाले से जुड़े दस्तावेज नहीं दिये. पीएजी और विधानसभा अध्यक्ष के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद दस्तावेज नहीं मिलने की वजह से ऑडिट का काम अधूरा छोड़ना पड़ा.
पदों के सृजन का कोई स्थायी नियम नहीं होने से यहां हर विधायक पर कर्मचारियों की संख्या 11 हो गयी है. विधानसभा ने अब तक नियुक्ति और प्रोन्नति को नियंत्रित करने के लिए कोई स्थायी नियम नहीं बनाया है. पीएजी द्वारा तैयार रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट के दौरान सचिवालय के अधिकारियों द्वारा नियुक्ति व प्रोन्नति के अलावा रेलवे कूपन के स्टॉक और वितरण के ब्योरे से संबंधित फाइलें नहीं दी गयीं.
इन फाइलों की मांग को लेकर अनेकों बार विधानसभा के सक्षम अधिकारियों से लिखित और मौखिक अनुरोध किया गया. फाइलें नहीं मिलने पर राज्य के प्रधान महालेखाकार ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ बातचीत की. इस दौरान उन्हें ऑडिट के लिए संबंधित फाइलें उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया, पर पीएजी द्वारा की गयी कोशिशें भी नाकाम हुईं और विधानसभा सचिवालय द्वारा किये गये काम का पूरा ऑडिट नहीं हो सका. वहीं वर्ष 2003 में विधानसभा सचिवालय के लिए कुल स्वीकृत पदों की संख्या 710 थी. 2013-14 तक इसे बढ़ा कर 949 कर दिया गया.
आर्थिक मामलों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार के वित्त विभाग ने छह सहायक पर एक प्रशाखा पदाधिकारी के पद का प्रावधान किया है, पर झारखंड विधानसभा सचिवालय ने दो सहायक पर एक प्रशाखा पदाधिकारी का प्रावधान कर रखा है. इसके आधार का उल्लेख नहीं किया है.
बिहार के मापदंड के आधार पर यहां 50 प्रशाखा पदाधिकारियों की संख्या अधिक है. इन अधिक पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के वेतन भत्ता पर वर्ष 2008-15 तक की अवधि में 1.51 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. पदों के सृजन के मामले में बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में वित्त विभाग की सहमति की बाध्यता है. इसके तहत विधानसभा द्वारा वित्त विभाग की सहमति से ही पदों का सृजन किया जाता है.
अगर अध्यक्ष ने स्वत: पद सृजित कर लिया हो, तो बाद में उस पर वित्त विभाग की सहमति ली जाती है. सहमति नहीं लेने की स्थिति में एेसे पद छह माह की अवधि में स्वत: समाप्त हो जाते हैं. झारखंड विधानसभा के लिए वर्ष 2003 में लागू किये गये नियम में वित्त विभाग की सहमति का प्रावधान ही नहीं किया गया है. इससे झारखंड विधानसभा में एक विधायक पर कर्मचारियों की संख्या 11 हो गयी है, जबकि बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में प्रति विधायक कर्मचारियों की संख्या तीन है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें