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17 बार सीएनटी कानून तोड़नेवाले हेमंत को बोलने का हक नहीं : आजसू

रांची : आजसू पार्टी ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट के मुद्दे पर झामुमो के खिलाफ मोरचा खोला है़ पार्टी ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 17 जगहों पर सीएनटी कानून का उल्लंघन कर जमीन खरीदी है़ 17 बार कानून तोड़नेवालों को इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है़ पार्टी के विधायक विकास […]

रांची : आजसू पार्टी ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट के मुद्दे पर झामुमो के खिलाफ मोरचा खोला है़ पार्टी ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 17 जगहों पर सीएनटी कानून का उल्लंघन कर जमीन खरीदी है़
17 बार कानून तोड़नेवालों को इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है़ पार्टी के विधायक विकास मुंडा, उपाध्यक्ष हसन अंसारी, प्रवक्ता प्रभाकर तिर्की और डॉ देवशरण भगत बुधवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे़
झामुमो पर आरोप लगाते हुए हसन अंसारी ने कहा कि हेमंत सोरेन को बताना चाहिए कि वह कहां के है़ कभी अपना पता गोला बताते हैं, तो कभी बोकारो और कभी दुमका़ जनता जानना चाहती है कि पूर्व मुख्यमंत्री कहां के रहनेवाले है़ं आज आदिवासी-मूलवासी की बात करते है़
सीएनटी-एसपीटी के उल्लंघन की जांच सही दिशा में हो गयी, तो सोरेन परिवार की राजनीति से विदाई हो जायेगी़ हसन अंसारी ने कहा कि सत्ता में रहे, तो स्थानीय नीति की याद नहीं आयी़ अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापस लिया, लेकिन 18 महीने में स्थानीय नीति नहीं बनायी़ सत्ता में रहते हुए जेपीएससी से क्षेत्रीय भाषाओं को हटा दिया़ बाहर के लोगों को डिप्टी कलेक्टर बनने का मौका दिया़ झारखंड के छात्राें और युवाओें के साथ खिलवाड़ किया़
विधायक विकास मुंडा ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन काला कानून है़ राज्य के आदिवासी-मूलवासी के सामने संकट खड़ा हो गया है़ गलत तरीके से और हड़बड़ी में संशोधन लाया गया है़
इसे टीएससी के सदस्यों के सामने भी हड़बड़ी में पास कराया गया़ कृषि योग्य जमीन के व्यावसायिक हित में इस्तेमाल के लिए कानून लाया गया है़ प्रवक्ता प्रभाकर तिर्की ने कहा कि एसआरए कोर्ट में 13 सौ से ज्यादा मामले लंबित है़ सरकार ने एसआरए कोर्ट भंग करने की बात कही है़ इन मामलों का निष्पादन होना चाहिए़
वर्ष 2000 से लेकर अब तक निष्पादित मामलों की जांच भी होनी चाहिए़ आजसू नेता संजीव महतो ने कहा कि वर्ष 1999 के बाद से एसआए कोर्ट में तय किया गया मुआवजा अवैध है़ सीएनटी के प्रावधान के तहत वर्ष 1969 से 30 वर्ष की अवधि तक ही मुआवजा लेने का प्रावधान था़ लेकिन उसके बाद जमीन मालिक और खरीदार की सहमति से एसआरए कोर्ट में मामले दायर हुए़

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