यह तभी मिल पायेगा, जब हम जाति व भाषा के मतभेद से ऊपर उठ कर एकमत होंगे. कालीचरण बिरुवा ने कहा कि आदिवासी समुदाय को धर्म कोड नहीं मिलना एक साजिश है. हमारी मांगों की लगातार उपेक्षा की जा रही है. हमें इस मांग को लेकर अौर गंभीर होना पड़ेगा. डॉ बिरसा उरांव ने कहा कि देश के तकरीबन सभी राज्यों में अच्छी खासी जनसंख्या होने के बावजूद हमारी उपेक्षा की जा रही है. अंगरेजों ने जो फूट डालने की नीति अपनायी थी, वह आज भी जारी है. सम्मेलन में महाराष्ट्र अौर छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
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इस देश को बसाने वाले आदिवासी हैं : तिरुमाल
रांची: इस देश को बसाने अौर चलाने वाले आदिवासी हैं. हम विभिन्न जाति व अलग-अलग भाषा बोलनेवाले हैं, पर हम एक ही मां की संतान हैं. हमारा समुदाय एक है. आज हम धर्मकोड की लड़ाई लड़ रहे हैं. इसके लिए काफी प्रयास करना होगा. उक्त बातें महाराष्ट्र से आये गोंड जनजाति के तिरुमाल रावेन इनवाते […]
रांची: इस देश को बसाने अौर चलाने वाले आदिवासी हैं. हम विभिन्न जाति व अलग-अलग भाषा बोलनेवाले हैं, पर हम एक ही मां की संतान हैं. हमारा समुदाय एक है. आज हम धर्मकोड की लड़ाई लड़ रहे हैं. इसके लिए काफी प्रयास करना होगा. उक्त बातें महाराष्ट्र से आये गोंड जनजाति के तिरुमाल रावेन इनवाते ने कही. वे शनिवार को आदिवासी महासभा द्वारा मोरहाबादी स्थित संगम गार्डेन में धर्म कोड पर आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि धर्म कोड की मांग का काफी विरोध होगा, क्योंकि जो सत्ता में बैठे हैं, वे नहीं चाहते कि हमें धर्म कोड मिले.
महासभा के संयोजक देव कुमार धान ने कहा कि आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड एक राष्ट्रीय मुद्दा है. देश भर के अलग-अलग आदिवासी जातियों ने अलग-अलग नाम से धर्म कोड की मांग रखी है. अलग-अलग मांग को जनगणना निदेशालय ने अस्वीकार कर दिया है. अगर हम एकमत होकर धर्म कोड की मांग रखेंगे, तो निश्चय ही हमें सफलता मिलेगी. रामचंद्र मुरमू ने कहा कि धर्म कोड से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि हमारी एक पृथक पहचान बनेगी.
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