विपक्ष नहीं चाहता है कि सरकार को विकास कार्यों का श्रेय मिले. वह चाहता है कि राज्य का विकास नहीं हो, ताकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह कह सके कि इस सरकार ने विकास का काम नहीं किया है. पहली बार कोई सरकार जनता के हितों को ध्यान में रख कर निर्णय ले रही है.
यह व्यवस्था खत्म करने का निर्णय लेकर राज्य सरकार ने गरीब आदिवासियों के पक्ष में ऐतिहासिक काम किया है. अभी उपायुक्तों को दो वर्ष तक के मामले में भू-वापसी और दखलदिहानी कराने का प्रावधान है. संशोधन के बाद यह समय सीमा दो साल के बजाय छह माह हो जायेगी. नये संशोधन से आदिवासी भू स्वामी अपनी भूमि का उपयोग गैर कृषि कार्यों के लिए कर सकेंगे. स्वरोजगार के लिए अपनी जमीन पर होटल, दुकान मैरेज हॉल आदि बनवा सकेंगे. यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि इस काम के लिए भू स्वामी अपना स्वामित्व हस्तांतरित नहीं कर पायेंगे. अगर पूर्व में कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य कर रहे हैं, तो वे नियमित कर सकेंगे. विरोध करनेवाले बतायें कि इसमें कहां क्या गलत है.