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विधायक रामकुमार पाहन ने कहा, सीएनटी-एक्ट में संशोधन से आदिवासियों का भला

रांची: भाजपा नेता और विधायक रामकुमार पाहन ने कहा है कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन से आदिवासियों का भला हाेगा़ जो लोग नहीं चाहते हैं कि आदिवासियों का विकास हो, वही इसका विरोध कर रहे हैं. क्या आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए. उन्हें सड़क, बिजली, अस्पताल ट्रांसमिशन लाइन सहित अन्य […]

रांची: भाजपा नेता और विधायक रामकुमार पाहन ने कहा है कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन से आदिवासियों का भला हाेगा़ जो लोग नहीं चाहते हैं कि आदिवासियों का विकास हो, वही इसका विरोध कर रहे हैं. क्या आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए. उन्हें सड़क, बिजली, अस्पताल ट्रांसमिशन लाइन सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं चाहिए.

विपक्ष नहीं चाहता है कि सरकार को विकास कार्यों का श्रेय मिले. वह चाहता है कि राज्य का विकास नहीं हो, ताकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह कह सके कि इस सरकार ने विकास का काम नहीं किया है. पहली बार कोई सरकार जनता के हितों को ध्यान में रख कर निर्णय ले रही है.

झारखंड में कई प्रमुख आदिवासी नेता पिछले 16 सालों में विभिन्न मौकों पर सीएनटी और एसपीटी कानून में संशोधन की वकालत कर चुके हैं. अभी के प्रावधान के अनुसार जब आदिवासी की जमीन सरकार लेती है, तो उसे मुआवजा मिलने में दो साल से अधिक समय लग जाता है. अब तीन माह में उन्हें मुआवजा मिल जायेगा. वह भी चार गुणा की दर से. विपक्ष बताये कि इस संशोधन से आदिवासियों को फायदा होगा या नुकसान. सरकार आदिवासियों की जमीन सिर्फ जन उपयोगी कार्यों जैसे अस्पताल, कैनाल, सड़क, ट्रांसमिशन, लाइन, स्कूल, कॉलेज पाइप लाइन आदि के लिए ही लेगी. वह भी ग्राम सभा के माध्यम से और रैयत की सहमति से. शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स के लिए सरकार जमीन नहीं लेने जा रही है. एसएआर कोर्ट के माध्यम से अब तक आदिवासियों की जमीन किसी तरह मुआवजा देकर हस्तांतरित होती रही है. यह किसी से छिपा नहीं है.

यह व्यवस्था खत्म करने का निर्णय लेकर राज्य सरकार ने गरीब आदिवासियों के पक्ष में ऐतिहासिक काम किया है. अभी उपायुक्तों को दो वर्ष तक के मामले में भू-वापसी और दखलदिहानी कराने का प्रावधान है. संशोधन के बाद यह समय सीमा दो साल के बजाय छह माह हो जायेगी. नये संशोधन से आदिवासी भू स्वामी अपनी भूमि का उपयोग गैर कृषि कार्यों के लिए कर सकेंगे. स्वरोजगार के लिए अपनी जमीन पर होटल, दुकान मैरेज हॉल आदि बनवा सकेंगे. यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि इस काम के लिए भू स्वामी अपना स्वामित्व हस्तांतरित नहीं कर पायेंगे. अगर पूर्व में कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य कर रहे हैं, तो वे नियमित कर सकेंगे. विरोध करनेवाले बतायें कि इसमें कहां क्या गलत है.

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