गांव के पत्थर, जमीन, बालू, पानी अौर जंगल पर हमारा अधिकार है. ये हमें भगवान ने दिया है, किसी सरकार ने नहीं. आज विकास के नाम पर सरकार जिस तरह योजना बना रही है, वह गलत है. सरकार कारखाना लगाकर विकास करना चाहती है, पर वह एक भी अन्न का कारखाना नहीं लगा सकती. अन्न का कारखाना किसान है.
सिदेश्वर ने कहा कि कई बार ग्रामसभा की ताकत को खत्म करने अौर तोड़ने की कोशिश की गयी है. पर हमलोग लगातार एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं. हम मानते हैं कि ग्राम सभा की ताकत सर्वोपरि है. हमें विकास विरोधी कहा जा रहा है. इससे पूर्व संवाद के घमश्याम ने सम्मेलन की विषयवस्तु के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ग्रामसभा परिवर्तन के लिए बड़ा अौजार है. इसे मजबूत करने के लिए पिछले 20 वर्षों से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. झारखंड में ग्राम सभा फेडरेशन के तहत अभी लगभग 300-400 गांव जुड़े हैं. फेडरेशन की नियमावली को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है, ताकि बेहतर तरीके से काम हो सके. सम्मेलन को गुमला की सुमित्रा बारला, देवघर के लोकमान्य, हजारीबाग के कन्हैया लाल आदि ने संबोधित किया.