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जनसंगठनों ने डॉ केसरी को याद किया, शून्य आ गया झारखंड के सांस्कृतिक अभियान में

रांची: झारखंड जन संस्कृति मंच व एआइपीएफ ने बुधवार को डॉ बीपी केसरी को याद किया. इस दौरान माले कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा की गयी. मौके पर साहित्यकार रविभूषण ने कहा कि डॉ केसरी के निधन ने झारखंड के सामाजिक-सांस्कृतिक स्वप्न को पूरा करने के अभियान में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया है. वरिष्ठ […]

रांची: झारखंड जन संस्कृति मंच व एआइपीएफ ने बुधवार को डॉ बीपी केसरी को याद किया. इस दौरान माले कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा की गयी. मौके पर साहित्यकार रविभूषण ने कहा कि डॉ केसरी के निधन ने झारखंड के सामाजिक-सांस्कृतिक स्वप्न को पूरा करने के अभियान में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया है.
वरिष्ठ वामपंथी नेता त्रिदीव घोष ने कहा कि 80 के दशक से ही डॉ केसरी वाम धारा के आंदोलनों में सक्रिय तौर पर शामिल रहे. झारखंड आंदोलन को व्यापकता दी. जाने- माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि जनता के प्रति उनका कमिटमेंट हमें हमेशा प्रेरित करेगा.

साहित्यकार महादेव टोप्पो ने कहा कि डॉ केसरी ने अलग राज्य के आंदोलन के साथ-साथ भाषा-संस्कृति के आंदोलन को भी गति दी थी. जेवियर कुजूर ने कहा कि डॉ केसरी हमेशा कहते थे कि झारखंड में बौद्धिक ताकत की कमी है. अनिल अंशुमन ने कहा कि डॉ केसरी सभी जन आंदोलनों के साथ रहकर वर्तमान ग्लोबल कॉरपोरेट हमलों का विरोध करते रहे. जुगल पाल ने कहा कि रांची के अलबर्ट एक्का चौक से लेकर नेतरहाट के गांवों में चल रहे जन आंदोलनों तक में पहुंच जानेवाले वे एकलौते साहत्यिकार थे.

एमजेड खान व प्रो मिथिलेश ने कहा कि झारखंड आंदोलन को वैचारिक-सांस्कृतिक आधार देने में डॉ रामदयाल मुंडा के साथ उन्होंने प्रमुख भूमिका निभायी. वहीं हुसैन कच्छी ने केसरी जी को सरल इंसान बताया. इस अवसर पर शंभु महतो, शशिभूषण पाठक, बशीर अहमद, दामोदर तुरी, जेरोम जेराल्ड, सोनी तिरिया, शांति सेन, ऐति तिर्की, सुखदेव प्रसाद, अखिलेश, सबा परवीन, तरुण आदि मौजूद थे.

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