कानून के तहत इन्फैंट फूड्ज और इन्फैंट मिल्क के उत्पादक और वितरक को डब्बों में यह चेतावनी लिखनी होगी कि मां का दूध ही सर्वोत्तम है. यह उत्पाद केवल हेल्थ केयर वर्कर की सलाह पर ही लिये जा सकते हैं. उत्पाद में इस्तेमाल, पोषण की सूचना आदि को विस्तार से देना होगा. डब्बों पर बच्चों व माता की तसवीर नहीं लगानी है.
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बेबी फूड, मिल्क व बोतल का नहीं हो सकेगा प्रचार
रांची: झारखंड में बेबी फूड, बेबी मिल्क व फीडिंग बोतल का प्रचार नहीं हो सकेगा. भारत सरकार के इन्फैंट मिल्क सब्सटीट्यूट फीडिंग बोटल एंड फूड(रेगुलेशन अॉफ प्रोडक्शन सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन) 1992 और संशोधित 2003 को राज्य में प्रभावी बनाने की तैयारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही है. इसके लिए पहले चरण में कैबिनेट में […]
रांची: झारखंड में बेबी फूड, बेबी मिल्क व फीडिंग बोतल का प्रचार नहीं हो सकेगा. भारत सरकार के इन्फैंट मिल्क सब्सटीट्यूट फीडिंग बोटल एंड फूड(रेगुलेशन अॉफ प्रोडक्शन सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन) 1992 और संशोधित 2003 को राज्य में प्रभावी बनाने की तैयारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही है. इसके लिए पहले चरण में कैबिनेट में प्रस्ताव भेजा जायेगा. इस एक्ट के तहत सिविल सर्जनों को अधिकार दिया जा रहा है कि वे कानून का अनुपालन सुनिश्चित करें.
इस एक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति बेबी फूड, बेबी मिल्क और फीडिंग बोतल का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता है. न ही इसे सार्वजनिक तौर पर किसी को वितरित कर सकता है. खासकर यह कहते हुए कि यह मां के दूध का विकल्प है. इसके प्रचार व बिक्री पर भी कड़ी निगरानी रखने का प्रावधान किया गया है.
सीएस को कार्रवाई का अधिकार: इस कानून के तहत सिविल सर्जन और एसीएमओ को अधिकार दिये जा रहे हैं. ये जुर्माना लगा सकते हैं. कानून का अनुपालन न होने पर दुकानदार पर कार्रवाई भी कर सकते हैं. समय-समय पर जांच के अधिकार भी दिये जा रहे हैं. बताया गया कि कैबिनेट की अगली बैठक में इस प्रस्ताव को भेज दिया जायेगा.
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