रांची: झारखंड के बैंकों से अब भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के छात्रों को एजुकेशन लोन नहीं मिल रहा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 54वीं बैठक में चार लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन बगैर किसी सिक्यूरिटी के देने का आह्वान बैंकों से किया था. रिजर्व बैंक के प्रावधानों के तहत भी चार लाख तक के कर्ज में किसी प्रकार की सिक्यूरिटी नहीं दिये जाने की बात कही गयी है.
बैंकों को एक विशेष अभियान चला कर शिक्षा ऋण को बढ़ाने के निर्देश दिये गये थे, पर इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. 7.50 लाख रुपये तक के कर्ज में संतालपरगना काश्तकारी अधिनियम और छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के नियम प्रभावकारी नहीं होने की बातें भी मुख्यमंत्री ने की थी. बैंकों से कहा गया था कि वे जिला स्तर पर बैठक कर लाभुकों को शिक्षा ऋण दिये जाने की सहमति प्रदान करें. यह भी कहा गया था कि 7.50 लाख तक के कर्ज बगैर सिक्युरिटी व गारंटी के दिये जायें.
लाभुकों की संख्या हुई कम
जानकारी के अनुसार राज्य के बैंकों की तरफ से 30.6.2015 तक 60296 एसटी-एससी लाभुकों को कर्ज दिया गया था. 30.6.2016 के आंकड़े इससे भी कम हो गये. इस वर्ष सिर्फ 59767 लाभुकों को 22.46 करोड़ से अधिक राज्य के बैंकों की तरफ से दिये जाने का दावा किया जा रहा है. 2016-17 की पहली तिमाही में 213 लाभुकों को ही कर्ज दिया गया है.
निजी बैंक नहीं दे रहे ऋण
शिक्षा ऋण अब भी निजी बैंकों द्वारा नहीं दिये जा रहे हैं. शिक्षा ऋण दिये जाने में इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक व यूनाइटेड बैंक अग्रणी हैं. यहां पर अधिक-से-अधिक आवेदकों को तरजीह दी जा रही है.