जांच रिपोर्ट में इसके अलावा और भी कई चौंकानेवाली चीजें मिली हैं. इसके तहत पानी का हार्डनेस (कठोरता) जहां 200-500 के बीच होना चाहिए था, वह 1000 के ऊपर है. पानी में टर्बिडिटी (गंदगी) एक से पांच के बीच होनी चाहिए थी, वह 70 तक पहुंच गया है.
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पीएचइडी के लैब से आयी रिपोर्ट: नगर निगम ने की अपील, हरमू कॉलाेनी के लोग न पीयें बोरिंग का पानी
रांची : वार्ड नंबर 29 व 37 के हरमू हाउसिंग कॉलोनी का भूगर्भ जल एसिडिक (अम्लीय) हो गया है. पानी में पीएच (पोटेंशियल हाइड्रोजन) की मात्रा साधारण से कम पायी गयी है. साधारण पानी में पीएच की मात्रा जहां सात होती है. वहीं कॉलोनी के जिन तीन घरों के भूगर्भ जल के सैंपल की जांच […]
रांची : वार्ड नंबर 29 व 37 के हरमू हाउसिंग कॉलोनी का भूगर्भ जल एसिडिक (अम्लीय) हो गया है. पानी में पीएच (पोटेंशियल हाइड्रोजन) की मात्रा साधारण से कम पायी गयी है. साधारण पानी में पीएच की मात्रा जहां सात होती है. वहीं कॉलोनी के जिन तीन घरों के भूगर्भ जल के सैंपल की जांच की गयी, वहां पीएच की मात्रा चार पायी गयी है़ जांच पीएचइडी के लैब में की गयी है.
जांच रिपोर्ट में इसके अलावा और भी कई चौंकानेवाली चीजें मिली हैं. इसके तहत पानी का हार्डनेस (कठोरता) जहां 200-500 के बीच होना चाहिए था, वह 1000 के ऊपर है. पानी में टर्बिडिटी (गंदगी) एक से पांच के बीच होनी चाहिए थी, वह 70 तक पहुंच गया है.
निगम के अधिकारियों को है अंदेशा : निगम के अधिकारियों को आशंका है कि इस कॉलोनी में या इसके अासपास गुप्त तरीके से काेई केमिकल फैक्टरी चल रही है या कोई भवन ऐसा है, जिसमें केमिकल का कारोबार किया जाता है. उसके बोरिंग का केसिंग क्षतिग्रस्त हो गया होगा. उसी केसिंग से होकर नियमित रूप से केमिकल भूगर्भ जल में जा कर मिल रहा है.
भूगर्भ जल का प्रयोग न करें : पानी में पीएच की मात्रा चार पाये जाने पर निगम के कार्यपालक अभियंता प्रमोद भट्ट ने कहा कि लोगों को पीने के पानी का उपयोग तत्काल बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पानी से आप बरतन धाे सकते हैं, परंतु खाना न बनायें. पेयजल के रूप में इसका उपयोग हरगिज न करें. साथ ही नजर रखें कि किसी के घर में अगर कोई केमिकल फैक्टरी चल रही है, तो उसकी सूचना निगम को दें.
पत्थलकुदवा में भी आया था आर्सेनिक का मामला सामने
वर्ष 2013-14 में पत्थलकुदवा के भूगर्भ जल में भी आर्सेनिक की मात्रा 10 गुना अधिक पायी गयी थी. आर्सेनिक की इतनी अधिकता पाये जाने के बाद नगर निगम ने यहां के भूगर्भ जल के उपयोग पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. इसके बाद नगर निगम व पीएचइडी द्वारा पूरे मोहल्ले में पाइपलाइन बिछायी गयी थी. आज मोहल्ले के लोग सप्लाई पानी पर निर्भर हैं. पूर्व में प्रदूषित पानी के सेवन से कई लोग बीमार पड़ गये थे.
क्या होता है पीएच
पानी की शुद्धता मापने का मानक है पीएच (पोटेंशियल हाइड्रोजन). साधारण पीने के पानी में पीएच की मात्रा साढ़े छह से सात के बीच होती है. पानी में पीएच की मात्रा आठ से ऊपर होने पर पानी क्षारीय हो जाता है. राजधानी के अधिकतर मोहल्ले के पानी में पीएच की मात्रा सात के आसपास ही है. वहीं हरमू हाउसिंग कॉलोनी के भूगर्भ जल में पीएच की मात्रा चार पायी गयी है. कम मात्रा में पीएच पाये जाने का मतलब है कि यह पानी पूरी तरह से अम्लीय हो गया है. इस भूगर्भ जल में कहीं न कहीं से एसिड या केमिकल मिल रहा है. बारिश के पानी के साथ यह केमिकल भूगर्भ के जल में जा कर मिल जा रहा है. भूगर्भ में इसका दायरा भी दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है.
किडनी, लिवर भी हो सकते हैं खराब
रिम्स के फिजिशियन डॉ उमेश प्रसाद ने बताया कि ज्यादा दिनों तक प्रदूषित जल का सेवन करने से पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है. किडनी, लिवर सहित अन्य अंगों पर इसका कुप्रभाव पड़ सकता है. चर्म रोग भी हो सकते हैं. डायरिया, जांडिस (पीलिया), टायफाइड सहित पेट से संबंधित अन्य बीमारियां भी हो सकती है.
नगर आयुक्त ने की बैठक दिया जांच करने का निर्देश
भूगर्भ जल के प्रदूषित होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर आयुक्त प्रशांत कुमार ने अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने अपर नगर आयुक्त को निर्देश दिया कि गुरुवार को वह अभियंताओं के साथ हरमू जायें और पानी की जांच करें. आखिर किन वजहों से पानी प्रदूषित हुआ है. आयुक्त ने कहा कि जरूरत पड़े, तो किसी घर के बोरवेल की भी जांच करें. अभियंताओं से कहा कि वे लोगों को भूगर्भ जल के दुष्प्रभाव के बारे में बतायें. बाेरिंग के पानी का उपयोग कम से कम करने काे कहें.
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