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आयोग के पास न तो पैसा है, न ही संसाधन
रांची : आयोग का गठन वर्ष 2010 में हुआ. छह साल बीत गये पर, स्थिति आज भी वही है. रांची समाहरणालय परिसर में आयोग का कार्यालय है. यहां सदस्यों के बैठने की भी जगह नहीं है. सभी सदस्य अध्यक्ष के चेंबर में ही बैठते हैं. फाइल रखने के लिए न अलमारी है, न काम करने […]
रांची : आयोग का गठन वर्ष 2010 में हुआ. छह साल बीत गये पर, स्थिति आज भी वही है. रांची समाहरणालय परिसर में आयोग का कार्यालय है. यहां सदस्यों के बैठने की भी जगह नहीं है. सभी सदस्य अध्यक्ष के चेंबर में ही बैठते हैं. फाइल रखने के लिए न अलमारी है, न काम करने के लिए टेबल. बच्चों को अधिकार दिलाने वाला आयोग खुद अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है. फैक्स मशीन डेढ़ साल से खराब है. पैसे के अभाव में नहीं बन रही है.
कर्मचारियों की कमी : आयोग में कर्मचारियों की भी कमी है. आयोग में प्रशाखा पदाधिकारी, सहायक, निजी सहायक व आशुलिपिक नहीं हैं. आयोग संविदा पर रखे गये कर्मचारियों के सहारे ही चल रहा है. आयोग में पांच पद संविदा के आधार पर रखे गये हैं. बाल अधिकार संरक्षण आयोग में एक सदस्य सचिव का पद भी रिक्त है. राजेश इ पात्रो प्रभारी सदस्य सचिव हैं.
अध्यक्ष को गाड़ी भी नहीं मिली है : आयोग की अध्यक्ष को न तो गाड़ी मिली है, न ही बाॅडीगार्ड दिया गया है. अध्यक्ष आरती कुजूर ने इस बारे में सरकार को कई बार पत्र भी लिखा, पर आज तक कुछ नहीं हुआ.
आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का वेतन सबसे कम: आयोग की अध्यक्ष को 20 हजार रुपये व सदस्यों को 10 हजार रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं. यह अन्य आयोगों के अध्यक्षों के वेतन से काफी कम है. यह सही है कि वेतन नियमावली के अनुसार ही दिया जा रहा है. इस नियमावली में संशोधन के लिए आयोग की तरफ से सरकार को पत्र भी लिखा गया है.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग में सदस्य का एक पद खाली: बाल अधिकार संरक्षण आयोग में अध्यक्ष के अलावा सदस्यों के छह पद हैं. सदस्य का एक पद अब तक रिक्त है. इसमें शिवधारी सिंह को सरकार ने सदस्य बनाया है, पर उन्होंने आज तक योगदान नहीं दिया. इस वजह यह पद खाली है. आयोग में आरती कुजूर अध्यक्ष हैं. वहीं डॉ मनोज कुमार, विनीता देवी, रवींद्र कुमार गुप्ता, अनहद लाल व भूपेन साहू सदस्य के रूप में काम रहे हैं.
70 लाख रुपये की मांग की गयी है : आयोग की अध्यक्ष ने सरकार से अध्यक्ष, सदस्यों व कर्मचारियों व अन्य सुविधाओं के लिए सरकार से 70 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन आज तक रुपये नहीं मिले.
क्या कहती हैं अध्यक्ष
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर का कहना है कि यहां संसाधनों की कमी है. कर्मचारी भी नहीं हैं. काम करने में परेशानी हो रही है. सुविधाओं की भी कमी है़ इस बारे में बार-बार सरकार को पत्र लिख कर जानकारी दी जा रही है. अपने पैसे खर्च कर अन्य जिलों के कार्यक्रम में जा रहे हैं. काफी परेशानी होती है. सहायक भी नहीं है.
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