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ठेकेदारों की वजह से पांच लाख मजदूर असुरक्षित

ठेकेदारों ने सरकारी नियमों का उल्लंघन कर इन मजदूरों का बीमा नहीं कराया है ऐसे में किसी तरह की दुर्घटना होने पर मजदूरों को मुआवजा नहीं मिल सकेगा देवघर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण के दौरान हुई दुर्घटना में मृत मजदूर के आश्रितों को मुआवजा नहीं मिला रांची : ठेकेदारों की वजह से निर्माण कार्यों में […]

ठेकेदारों ने सरकारी नियमों का उल्लंघन कर इन मजदूरों का बीमा नहीं कराया है

ऐसे में किसी तरह की दुर्घटना होने पर मजदूरों को मुआवजा नहीं मिल सकेगा

देवघर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण के दौरान हुई दुर्घटना में मृत मजदूर के आश्रितों को मुआवजा नहीं मिला

रांची : ठेकेदारों की वजह से निर्माण कार्यों में लगे पांच लाख मजदूर असुरक्षित हैं. ठेकेदारों ने सरकारी नियमों का उल्लंघन कर इन मजदूरों का बीमा नहीं कराया है. ऐसी स्थिति में किसी तरह की दुर्घटना होने पर मजदूरों को मुआवजा नहीं मिल सकेगा. बीमा नहीं कराये जाने की वजह से ही देवघर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण के दौरान हुई दुर्घटना में मृत मजदूर के आश्रितों को पांच लाख का मुआवजा नहीं मिल सका.

राज्य में लगभग पांच लाख मजदूर सड़क व भवन सहित अन्य प्रकार के निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं. सरकार ने निर्माण कार्यों को दौरान दुर्घटना की आशंकाओं के मद्देनजर मजदूरों के लिए बीमा कराने का नियम बनाया है. सरकार द्वारा निर्धारित नियम के आलोक में बीमा कराने पर दुर्घटना में किसी मजदूर की मौत होने पर उसके आश्रितों को पांच लाख रुपये मिलते हैं. नियमानुसार निर्माण कार्यों मेें लगे ठेकेदारों को बीमा कराने और प्रीमियम के भुगतान की बाध्यता है. निर्माण कार्यों से संबंधित स्पेशल बिड डॉक्यूमेंट (एसबीडी) में इसके लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं. इसके तहत ठेकेदार को काम शुरू करने से पहले बीमा करा कर इससे संबंधित दस्तावेज कार्य प्रमंडल के इंजीनियर के पास जमा करना है.

ठेकेदारों द्वारा बीमा नहीं कराने पर संबंधित प्रमंडल के इंजीनियर की यह जिम्मेवारी है कि वह मजदूरों का बीमा कराये और प्रीमियम की राशि ठेकेदार से वसूले. हालांकि प्रधान महालेखाकार द्वारा की गयी जांच के दौरान यह पाया गया कि निर्माण कार्यों में लगे ठेकेदार नियम का उल्लंघन कर मजदूरों का बीमा नहीं करा रहे हैं. साथ ही संबंधित प्रमंडल के इंजीनियर भी इस मामले में अपनी कानूनी जिम्मेवारी नहीं निभा रहे हैं.

केस स्टडी- एक

पाकुड़-बरवाडीह सड़क पर उच्च स्तरीय पुल बनाने का काम श्री राम इंटरप्राइजेज नामक कंपनी को दिया गया था. पुल की लागत 2.72 करोड़ रुपये थी. इस कंपनी ने नियमों का उल्लंघन किया और मजदूरों का बीमा नहीं कराया.

केस स्टडी-दो

लातेहार-सरयू-कोटाम सड़क निर्माण का काम दिल्ली की मेसर्स एस एंड पी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दिया गया था. सड़क की लागत 53.13 करोड़ रुपये थी. इस कंपनी ने भी मजदूरों का बीमा नहीं कराया.

केस स्टडी-तीन

देवघर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण का काम मेसर्स इंडियन प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है. कंपनी ने 19.89 करोड़ रुपये के इस काम में मजदूरों का बीमा नहीं कराया. निर्माण कार्य के दौरान हुई दुर्घटना में एक मजदूर की मौत हो गयी थी. कंपनी द्वारा बीमा नहीं कराये जाने के कारण मृत मजदूर के आश्रितों को पांच लाख का मुआवजा नहीं मिल सका.

केस स्टडी-चार

6.07 करोड़ की लागत से दुमका जिला स्तरीय स्टेडियम के निर्माण के दौरान मेसर्स एसीएमइ ने भी मजदूरों का बीमा नहीं कराया. इसी ठेकेदार को 7.97 करोड़ की लागत से जरमुंडी आइटीआइ का काम दिया गया है. ठेकेदार ने इस निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के लिए भी बीमा नहीं कराया है.

केस स्टडी-पांच

दुमका एयरपोर्ट हैंगर भवन के निर्माण का काम मेसर्स सरयुग गौतम कंस्ट्रक्शन को दिया गया है. 3.20 करोड़ रुपये की लागत से होनेवाले इस काम में ठेकेदार ने मजदूरों का बीमा नहीं कराया है.

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