राज्य में लागू नियम के तहत पंचायती राज संस्थाओं को सरकार से मिली राशि संस्था के नाम खोले गये खाते में ही रखना है. बोकारो जिले के 11 ग्राम पंचायतों की जांच में यह पाया गया कि इन ग्राम पंचायतों के मुखिया और पंचायत सचिव ने संस्था के बदले निजी नाम पर खोले गये खाते में सरकार का 1.35 करोड़ रुपये रखा है. पंचायत राज संस्थाओं को दो लाख रुपये तक का काम लाभुक समितियों से कराने का अधिकार दिया गया है. 2.5 लाख रुपये या उससे अधिक का काम टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कराने का प्रावधान है.
पर पंचायत राज संस्थाएं अपनी इच्छानुसार लाभुक समितियों से काम कराने के लिए बड़ी योजनाओं को भी टुकड़ों में बांट रही हैं. नमूना जांच में पाया गया कि पंचायत समिति चास ने निविदा प्रक्रिया से बचने के लिए 58.29 लाख रुपये की योजना को 32 टुकड़ों बांट दिया. पंचायत समितियों द्वारा लाभुक समितियों को अग्रिम देने के मामले में भी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. नियमानुसार पहले दिये गये अग्रिम का हिसाब दिये बिना किसी को दूसरी बार अग्रिम नहीं देना है. इसके बावजूद 142 लाभुकों से पहली किस्त का हिसाब लिये बिना ही 54 लाख रुपये का अग्रिम दे दिया गया. बोकारो जिले के सियारी ग्राम पंचायत के मुखिया ने तो कंपनी द्वारा जेनेरेटर बनाने से पहले ही उसे खरीद लिया. जांच में पाया गया कि ग्राम पंचायत ने अक्तूबर 2014 मेें 7.5 केवी के जेनेरेटर की खरीद और नवंबर 2014 में भुगतान दिखाया. उस जेनेरेटर को कंपनी ने 2015 में बनाया था. ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के अलावा जिला परिषद स्तर पर भी काफी गड़बड़ी पायी गयी.