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यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बुलायी थी एक दिवसीय हड़ताल

500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बुलायी थी एक दिवसीय हड़ताल 500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित रांची : सरकारी बैंकों का निजीकरण न करने, मर्जर सहित 12 सूत्री मांगों को लेकर झारखंड सहित पूरे देश के बैंककर्मी शुक्रवार को एक दिवसीय हड़ताल पर रहे. बैंक यूिनयनों के नेताओं […]

500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बुलायी थी एक दिवसीय हड़ताल

500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित

रांची : सरकारी बैंकों का निजीकरण न करने, मर्जर सहित 12 सूत्री मांगों को लेकर झारखंड सहित पूरे देश के बैंककर्मी शुक्रवार को एक दिवसीय हड़ताल पर रहे. बैंक यूिनयनों के नेताओं की मानें तो इस एक दिन की हड़ताल के कारण करीब 500 करोड़ रुपये का कारोबार बाधित हुआ. हालांकि एटीएम खुले होने की वजह से लोगों को परेशानी कम हुई.

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर आयोजित बैंक हड़ताल का असर रांची सहित जमशेदपुर, बोकारो, खूंटी, कोडरमा, हजारीबाग, पलामू, धनबाद, पाकुड़, गोड्डा, साहेबगंज आदि जिलों में साफ दिखा. इस दौरान राष्ट्रीयकृत व निजी बैंकों में ताले लटके रहे. बैंकों में कामकाज नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी हुई. ग्रामीण व सहकारी बैंक हड़ताल में शामिल नहीं थे. इन बैंकों में सामान्य दिनों की तरह कामकाज हुआ. हड़ताल में नौ बैंक संगठन शामिल हुए. एसबीआइ ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमाकांत सिंह, उपाध्यक्ष कमलाकर सिंह, उप महासचिव सुधेंदु पांडेय व बेफी के एमएल सिंह ने कहा कि शुक्रवार को हुई राष्ट्रव्यापी हड़ताल पूरी तरह से सफल रही.

एटीएम खुले रहने से मिली राहत : हड़ताल के दौरान एटीएम खुले रहे. इससे आम लोगों काे काफी राहत मिली. लोगों ने जरूरत के अनुसार पैसे की निकासी की. इंटरनेट व मोबाइल बैंकिंग का भी कई लोगों ने पैसे भेजने व मंगाने में प्रयोग किया.

आक्रोश

हड़ताल पर रहे झारखंड समेत पूरे देश के बैंककर्मी

संगठनों का दावा : सफल

रही यह हड़ताल

12 सूत्री मांगों के समर्थन में थी यह हड़ताल

ये हैं मांगें

बैंकिंग सुधार के नाम पर सरकारी बैंकों का निजीकरण व मर्जर नहीं किया जाए

पब्लिक सेक्टर बैंकों की मजबूती पर जोर दिया जाए Àबैंकों के खराब लोन की सख्ती से वसूली और डिफॉल्टर पर कानूनी कार्रवाई की जाए Àबड़े उद्योग घरानों को बैंक खोलने का लाइसेंस न दिया जाए Àबैंकिंग सेक्टर में एफडीआइ की अनुमति न दी जाए निजी हाथों में पेमेंट बैंक और छोटे बैंक चलाने की अनुमति नहीं दी जाए Àआम जनता की जमा पूंजी पर ब्याज दर बढ़ायी जाए

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