रांची : राज्य की सवा तीन करोड़ की जनता की अाकांक्षाअों पर यह सत्र खरा नहीं उतर सका. यह उचित समय है कि हम यह आकलन करें कि छह दिवसीय इस सत्र से हमें या जनता को क्या मिला. विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव ने सत्र के समापन अवसर पर अपने भाषण में उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि मैं इस बात से चिंतित हूं कि क्या संसदीय व्यवस्था का यही स्वरूप हम आनेवाली पीढ़ी को सौंपेंगे? अध्यक्ष ने कहा कि जन समस्याअों पर विचार न करके तथा इसके समाधान से भाग कर क्या हम न्यायपालिका को हस्तक्षेप के लिए आमंत्रित नहीं कर रहे?
इसके लिए कमोबेश हम सब जिम्मेवार हैं. विपक्ष का काम केवल व्यवधान उत्पन्न करना नहीं, सकारात्मक सहयोग देना भी है. उसी तरह सरकार का दायित्व विपक्ष सहित सभी सदस्यों की जिज्ञासा को शांत करते हुए उनकी भावना का आदर भी करना है. जनता का विधायिका के प्रति सम्मान तभी बढ़ेगा,
जब सरकार व विपक्ष दोनों अपनी जिम्मेवारी समझेंगे. अध्यक्ष ने कहा कि इस बार यह कीर्तिमान भी बना कि इस सत्र में एक भी प्रश्न, शून्यकाल, ध्यानाकर्षण यहां तक कि मुख्यमंत्री प्रश्न भी नहीं लिया जा सका. प्रथम अनुपूरक बगैर चर्चा के पारित हो गया. उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि भविष्य में सरकार के स्तर से सभा के बाहर एक सर्वानुमति बनाने का प्रयास किया जायेगा, ताकि सभा की बैठकें सुचारु रूप से चल सके.