रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक अगस्त से बिना स्पीड गवर्नर लगाये वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 18 फरवरी 2016 को सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जारी आदेश के आलोक में 31 जुलाई तक वाहनों में स्पीड गवर्नर […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक अगस्त से बिना स्पीड गवर्नर लगाये वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 18 फरवरी 2016 को सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जारी आदेश के आलोक में 31 जुलाई तक वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाया जाना था.
स्पीड गवर्नर नहीं लगाया गया है. वैसी परिस्थिति में झारखंड राज्य में बिना स्पीड गवर्नर के वाहनों का रजिस्ट्रेशन एक अगस्त से नहीं किया जायेगा. स्पीड गवर्नर लगाने के बाद ही निर्धारित वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जाये. इसमें किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाये. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार के जवाब पर असंतोष प्रकट करते हुए उक्त आदेश दिया.
खंडपीठ ने कहा कि वाहनों की तेज गति के कारण आये-दिन दुर्घटनाएं होती हैं. इसमें जानमाल को काफी नुकसान पहुंचता है. सड़क हादसे को रोकने के लिए वाहनों में स्पीड गवर्नर (गति नियंत्रक) लगाया जाना आवश्यक हो गया है. मामले की अगली सुनवाई के लिए दो सितंबर 2016 की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली-1989 के नियम 118 (उप धारा-टू) के तहत 31 जुलाई 2016 तक वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाये जाने संबंधी आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया.
उक्त आदेश केंद्र सरकार की अधिसूचना के आलोक में जारी किया गया है. इसके बाद भी राज्य में आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. वाहनों में स्पीड गवर्नर नहीं लगाया जा रहा है. उस आदेश में कहा गया है कि निर्धारित समय तक स्पीड गवर्नर नहीं लगाये जाने पर संबंधित जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीअो) वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं करेंगे.
वाहन का रजिस्ट्रेशन तब तक नहीं किया जायेगा, जब तक की उसमें स्पीड गवर्नर नहीं लगा दिया जाता है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ब्रज किशोर नारायण ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने सड़क हादसा रोकने के लिए वाहनों की गति को नियंत्रित करने की मांग की है.