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सदन में झारखंड संपत्ति विनाश एवं क्षति निवारण विधेयक पर हुई बहस,विधेयक का पक्ष-विपक्ष ने किया विरोध

रांची: झारखंड संपत्ति विनाश एवं क्षति निवारण विधेयक पर गुरुवार को विधानसभा में बहस हुई. सत्ता पक्ष व विपक्षी विधायकों ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की. चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजते हुए दो माह में रिपोर्ट सौंपने का […]

रांची: झारखंड संपत्ति विनाश एवं क्षति निवारण विधेयक पर गुरुवार को विधानसभा में बहस हुई. सत्ता पक्ष व विपक्षी विधायकों ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की. चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजते हुए दो माह में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
स्पीकर श्री उरांव ने कहा कि विधायक प्रदीप यादव व सुखदेव भगत ने भी संशोधन का प्रस्ताव देकर इसे प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया है. उन्होंने एक विधेयक का हवाला देते हुए कहा कि इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया था. बाद में सरकार ने इसे वापस ले लिया. इससे पहले पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अपनी बात रखने का अधिकार है. इसमें जन प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं. विधेयक में धरना-प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान होने पर एक से 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. वहीं दूसरी तरफ इसमें सिर्फ पुलिस के दायित्व का उल्लेख किया गया है. इसमें पुलिस के खिलाफ किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं है. ऐसे में इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है. संपत्ति के नुकसान को रोकने के लिए पहले से ही कानून का प्रावधान है. ऐसे में अलग से विधेयक लाने का कोई औचित्य नहीं है. सत्ता पक्ष के विधायक राज सिन्हा, ढुल्लू महतो ने भी विधेयक पर विरोध जताया. वहीं संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय, मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने विधेयक के पक्ष में अपनी बातें रखीं.
भावना से नहीं, नियम-कानून से चलता है शासन : रघुवर : विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि मैं खुद आंदोलन से उपजा व्यक्ति हूं. मुझे भी इसकी चिंता है. राज्य गठन के बाद 2002 में डोमिसाइल आंदोलन के दौरान क्या हुआ, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. लोकतंत्र सुचारू रूप से चले, इसी उद्देश्य को लेकर विधेयक लाया गया है. एक्ट का साइड इफेक्ट होता है.भावना से नहीं, नियम कानून से शासन चलता है. इस विधेयक के आने से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी.
आंदोलन को कुचलने के लिए लाया जा रहा विधेयक : हेमंत
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को धरना – प्रदर्शन करने का अधिकार है. राज्य में जिस प्रकार से सरकार कार्य कर रही है, उससे आनेवाले समय में स्थानीय नीति व सीएनटी – एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरेगी. आंदोलन को कुचलने के लिए हथियार के रूप में इस विधेयक का इस्तेमाल किया जायेगा. इसे हर हाल में वापस लेना चाहिए.
विधेयक का हो सकता है दुरुपयोग : राधा कृष्ण किशोर : सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि कोई भी नहीं चाहता है कि संपत्ति का नुकसान हो. इसे रोकने के लिए पहले से ही प्रावधान है. विधेयक में एक से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. इसका दुरुपयोग हो सकता है.
विधेयक वापस लिया जाये : शिवशंकर : भाजपा विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष बदलता रहता है. विधेयक में किये गये प्रावधान का सत्ता पक्ष दुरुपयोग कर सकता है. प्रवर समिति में भेजने के बजाय इसे वापस लेना चाहिए.
कानून का शासन प्रतीत नहीं हो रहा : सुखदेव : कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि लोकतंत्र में धरना-प्रदर्शन, आंदोलन के माध्यम से बात रखने का अधिकार है. अपनी बात रखने को लेकर जन प्रतिनिधि भी सड़क पर उतरते हैं. ऐसा लगता है कि कानून का शासन प्रतीत नहीं हो रहा है. यही वजह है कि विधेयक लाया जा रहा है.
पहले से है कानून, विधेयक की जरूरत नहीं : प्रदीप : विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि धरना-प्रदर्शन के दौरान संपत्ति का नुकसान नहीं हो, इसके लिए पहले से ही प्रीवेंसन ऑफ पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट है. ऐसे में फिर से विधेयक लाकर कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है. इस कानून का दुरुपयोग होगा.

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