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फरजी तरीके से कवि गुरु की पुश्तैनी जमीन बेचने की तैयारी
रांची: जमीन दलालों ने कवि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर की पुश्तैनी जमीन को भी नहीं छोड़ा. उनकी जमीन को बेचने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है. जब इस बात की सूचना रवींद्र नाथ टैगोर के परपोते हिमेंद्रनाथ टैगोर को मिली, तो वे अभिलेखा कार्यालय पहुंचे और दस्तावेजों के संबंध में जानकारी ली. […]
रांची: जमीन दलालों ने कवि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर की पुश्तैनी जमीन को भी नहीं छोड़ा. उनकी जमीन को बेचने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है. जब इस बात की सूचना रवींद्र नाथ टैगोर के परपोते हिमेंद्रनाथ टैगोर को मिली, तो वे अभिलेखा कार्यालय पहुंचे और दस्तावेजों के संबंध में जानकारी ली.
उन्होंने पाया कि उनकी जमीन से संबंधित दस्तावेज नदारद हैं. रजिस्टर-2 फटा हुआ है. इसके बाद जब उन्होंने ऑनलाइन खतियान की भी जांच की, तो पाया कि खतियान में महिंदर नाथ टैगोर के नाम का किसी फरजी व्यक्ति का नाम है. यही नहीं, जमीन दलालों ने नया खतियान बना कर सीओ कार्यालय में उस खतियान की सर्टिफाइड काॅपी भी जमा कर दी है. उक्त जमीन का रकबा भी वही है, पता भी वही है. इस बारे में हिमेंद्रनाथ टैगोर ने लिखित शिकायत अपर समाहर्ता से की है. उन्होंने तत्काल संबंधित सीओ को जांच के लिए कहा है.
लगान रसीद भी गलत निर्गत हो गयी थी : हिमेंद्रनाथ टैगोर ने पूर्व में शहर अंचल को 9 अक्तूबर 2015 में जानकारी दी थी कि उनकी जमीन का गलत तरीके से लगान रसीद निर्गत किया गया है. इस गंभीरता से लेते हुए राजस्व कर्मचारी जयवीर भगत को सीओ शहर अंचल द्वारा चेतावनी भी दी जा चुकी है.
मैं महिंदर नाथ टैगोर को नहीं पहचानता हूं. न ही हमारे परिवार से महिंदर का कोई संबंध ही है.
हिमेंद्रनाथ टैगोर, रवींद्रनाथ टैगोर के परपोता
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