इनकी बालकथा ‘एतवा’ दो दशक पूर्व भारत सरकार की पत्रिका ‘बाल भारती’ में प्रकाशित हुई थी, जिसे बालकथा संकलन ‘आधुनिक बालकथाएं’ में भी सम्मिलित किया गया था. उसी बालकथा को झारखंड सरकार ने राज्य के सरकारी विद्यालयों की पांचवी कक्षा के पाठ्यक्रम में सत्र 2016-17 से शामिल कर लिया है.
बताते चलें कि झारखंड सरकार की पांचवी कक्षा की पुस्तक ‘भाषांजलि’ में द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी, प्रेमचंद, विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’, प्रकाश मनु, भीष्म साहनी, रवींद्रनाथ ठाकुर, मैथिलीशरण गुप्त और हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं भी ली गयी हैं. विदित हो कि अंकुश्री की रचनाएं करीब पांच दशकों से देश भर की लब्ध प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं. ‘सागर के तिनके’ (लघुकथा संग्रह) के अलावा ‘हमारे वन्यप्राणी’, ‘हमारे पक्षी’, ‘नगाड़ा’, ‘पेड़’ और ‘हमसे है पर्यावरण’ इनकी प्रकाशित बालोपयोगी पुस्तकें हैं.