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केंद्र ने झारखंड से 12 अगस्त तक मांगी राय
रांची : भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगने का अधिकार अब आम लोगों को भी मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आलोक में केंद्र सरकार ने इससे संबंधित प्रावधान लागू करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने इस मामले में राज्य सरकारों को 12 अगस्त तक अपनी […]
रांची : भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगने का अधिकार अब आम लोगों को भी मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आलोक में केंद्र सरकार ने इससे संबंधित प्रावधान लागू करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने इस मामले में राज्य सरकारों को 12 अगस्त तक अपनी राय देने के लिए कहा है. इस बारे में भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है.
क्या है आदेश : केंद्र की ओर से भेजे पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने डॉ सुब्रमण्यम स्वामी बनाम डॉ मनमोहन सिंह व अन्य के मामले में कहा है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 व सीआरपीसी एक्ट 1973 के तहत कहीं भी किसी नागरिक द्वारा सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति (प्रोसिक्यूशन सेंशन) मांगने पर पाबंदी नहीं है. अदालत ने यह भी कहा है कि किसी नागरिक द्वारा मुकदमे की अनुमति मांगे जाने पर उसे स्वीकार करना या न करना सक्षम अधिकारी की संतुष्टि पर निर्भर करता है. अगर सक्षम अधिकारी संतुष्ट हों, तो मुकदमा चलाने की अनुमति दी जा सकती है. सक्षम अधिकारी के असंतुष्ट होने पर संबंधित आवेदन रद्द किया जा सकता है. नागरिक द्वारा मुकदमा चलाने के आवेदन को स्वीकृत या रद्द करने की स्थिति में इसकी सूचना संबंधित व्यक्ति को देनी होगी.
कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने प्रारूप किया तैयार
भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इसके लिए एक दिशा-निर्देश का प्रारूप तैयार किया है. इसमें कहा गया है कि नागरिकों की ओर से मिले आवेदन का निपटारा तीन महीनों के अंदर कर दिया जाना चाहिए. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति की मांग के लिए अफसर पर लगे आरोपों के सबूत के तौर पर आवश्यक दस्तावेज का होना आवश्यक होगा. मुकदमा चलाने की अनुमति की मांग भारत सरकार से की जा सकेगी. भारत सरकार आरोपों और दस्तावेजों की जांच और आरोपित अधिकारी का पक्ष सुनने के बाद फैसला करेगी. अगर किसी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति राज्य सरकार के पास दी गयी हो, तो राज्य सरकार उसे भारत सरकार को भेज देगी.
अभी क्या होता है
अब तक आम नागरिक को किसी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने का अधिकार नहीं है. आम नागरिक अगर किसी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहता हो, तो उसे अदालत की शरण में जाना पड़ता है. हालांकि, आम आदमी अफसर द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की सूचना सरकार को दे सकता है. हालांकि मामले में आरोपों की जांच या कार्रवाई करने के लिए सरकार बाध्य नहीं है.
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