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आधारभूत संरचना बेहतर करने की जरूरत
इंडिया टुडे के स्टेट अॉफ द स्टेट काॅनक्लेव में राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने ग्रामीण इलाकों में आधारभूत संरचना (सड़क, बिजली, पानी व शिक्षा) सुधारने पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की स्थिति में सुधार होने से ही गांवों की अर्थव्यवस्था सुधरेगी.इससे झारखंड संवरेगा व आगे बढ़ेगा. […]
इंडिया टुडे के स्टेट अॉफ द स्टेट काॅनक्लेव में राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा
रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने ग्रामीण इलाकों में आधारभूत संरचना (सड़क, बिजली, पानी व शिक्षा) सुधारने पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की स्थिति में सुधार होने से ही गांवों की अर्थव्यवस्था सुधरेगी.इससे झारखंड संवरेगा व आगे बढ़ेगा. राज्य की 76 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. राज्यपाल ने शनिवार को रांची में आयोजित इंडिया टुडे स्टेट अॉफ द स्टेट काॅनक्लेव के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के गठन के बाद से कई बदलाव हुए हैं. कम आय, खराब स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की स्थिति 2000 की तुलना में अब बेहतर हुई है. हालांकि प्राकृतिक और नैसर्गिक संसाधनों की बहुलता के बाद भी राज्य के लोग गरीब हैं. उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में झारखंड काे देश भर में तीसरा स्थान मिला है. केंद्र सरकार अब यहां के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम और अन्य सामाजिक मानकों को बेहतर बनाने के लिए अधिक फंडिंग करे.
श्रीमती मुरमू ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं को अमली जामा पहनाने से राज्य का विकास तेजी से हो पायेगा. यहां पर टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, यूरेनियम कारपोरेशन, सेल, हिंदुस्तान काॅपर सरीखे बड़े उद्योगों के अलावा आइआइएम, बीआइटी मेसरा, एक्सएलआरआइ, आइएसएम जैसे शैक्षणिक संस्थान हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में खनिजों का पर्याप्त दोहन हो, ताकि राजस्व बढ़े और यहां की जनता को उसका लाभ मिले. इससे पहले इंडिया टुडे समूह के संपादकीय निदेेशक राज चेंगप्पा ने सभी का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य के बीच आपसी समन्वय स्थापित करने के लिए ही यह आयोजन किया गया है.
पहली बार पूर्वोत्तर राज्यों में स्टेट ऑफ द स्टेट काॅनक्लेव आयोजित किया गया है. इसमें झारखंड के जिलों को लेकर एक रिपोर्ट भी तैयार की गयी है. इसमें क्वालिटी ऑफ लाइफ, सामाजिक और आर्थिक इंडिकेटरों की मदद से बारीक और सूक्ष्म रिपोर्ट तैयार की गयी है. देश के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री डॉ सुरजीत भल्ला और समूह के अजीत कुमार झा ने यह रिपोर्ट तैयार की है.
कार्यक्रम का संचालन न्यूज चैनल आज तक के न्यूज रीडर सईद अंसारी ने किया. उदघाटन के मौके पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुदर्शन भगत, उद्योगपति नवीन जिंदल समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.
ग्रामीणों की स्थिति में सुधार होने से ही गांवों की अर्थव्यवस्था सुधरेगी
लाह को कृषि आधारित उत्पाद घोषित करने की पहल करेंगे : सुदर्शन
केंद्रीय कृषि और कृषक कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार सुदर्शन भगत ने कहा है कि वे लाह को कृषि आधारित उत्पाद घोषित करने की दिशा में पहल करेंगे. उन्होंने कहा है कि लाह के उत्पादकों को अब भी आयकर देना पड़ता है. उन्होंने सब्जियों, कटहल, चिरौंजी, साल बीज, जामून और अन्य वनोत्पादों के संग्रहण और विपणन के लिए भी राज्य सरकार से बेहतर नेटवर्क स्थापित करने का आह्वान किया. उन्होंने माना कि राज्य में किसानों के उत्पाद के लिए मार्केटिंग जरूरी है.
इंडिया टूडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए श्री भगत ने कहा कि झारखंड में एक लाख किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड जारी किया गया है. श्री भगत ने कहा कि सिक्किम की तरह झारखंड को ऑरगेनिक स्टेट बनाने के लिए भी जल्द ही आवश्यक निर्देश जारी किये जायेंगे. झारखंड में परंपरागत कृषि विकास की योजना और जैविक खेती को बढ़ावा देने की भी पहल शुरू कर दी गयी है.
उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के उद्योगों की स्थापना रांची, जमशेदपुर, धनबाद और गिरिडीह में हो. मशरूम की खेती को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है. जून और जुलाई माह में होनेवाले मशरूम के भंडारण को लेकर शोध करने की जरूरत है. केंद्रीय मंत्री ने पशुपालन, बागवानी, मुर्गी पालन, डेयरी उत्पादन को भी बढ़ावा दिये जाने की बातें कही.
उद्योगपति उत्साह और जोश में आकर निवेश न करें : नवीन जिंदल
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के अध्यक्ष नवीन जिंदल ने कहा है कि उद्योगपति उत्साह और जोश में निवेश न करें. इससे दर्द और जलालत के अलावा कुछ नहीं मिलता है. निवेशकों के लिए राज्य और केंद्र सरकार बेहतर माहौल और स्थिति बनाने में सहयोग करे, इसके सार्थक परिणाम आयेंगे.
इंडिया टूडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए श्री जिंदल ने कहा कि पतरातू में कंपनी ने छह मिलियन टन का इस्पात संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया था. तीन हजार करोड़ का निवेश भी हुआ, पर मिला हुआ कोल ब्लॉक सर्वोच्च न्यायालय की वजह से रद्द कर दिया गया. जांच शुरू हो गयी.
अधिकारी और उद्योगपति निशाने पर हैं. ऐसे में निवेश का बेहतर माहौल कैसे बन पायेगा. हमने जो खोया है, उसका हमें दर्द है. झारखंड में हमलोगों ने 10 हजार करोड़ की लागत से दुमका में मिले कोल ब्लाक के विकास की योजना बनायी थी, पर सब धरा का धरा रह गया. गोड्डा में 1360 मेगावाट का पावर प्लांट भी इसकी वजह से शुरू नहीं हो पाया. लोगों ने हमारी गाड़ी जलायी, अधिकारियों को पीटा. निवेश करनेवाले लोगों को लक्ष्य बनाया जा रहा है, ऐसे में खनिजों का विकास कैसे होगा. झारखंड के अच्छे अधिकारी भी अब उद्योगपतियों को मदद करने में सकुचाने लगे हैं. झारखंड को बेहतर बनाने के लिए इन कमियों को दूर करने की जरूरत है.
मैन्यूफैक्चरिंग कम हुआ, सर्विस सेक्टर में दिखा ग्रोथ : डॉ भल्ला
अर्थशास्त्री डॉ सुरजीत भल्ला ने कहा है कि झारखंड में मैन्यूफैक्चरिंग कम हुआ है, जबकि सर्विस सेक्टर में ग्रोथ दिख रहा है. डॉ भल्ला ने इंडिया टुडे समूह के लिए झारखंड के विकास पर रिपोर्ट तैयार की है. उन्होंने 1999-2000 की तुलना में मैन्यूफैक्चरिंग का स्तर 52 फीसदी से घट कर 32 प्रतिशत हो गया है. यह चिंता का विषय है, क्योंकि यहां पर टाटा, सेल, बोकारो व एचइसी जैसे उद्योग हैं. इस दौरान बैंकिंग, बीमा, आतिथ्य सत्कार जैसी सेवाओं में इजाफा हुआ है. पुरुषों में साक्षरता की कमी से झारखंड में अपराध काफी बढ़ा है. खास कर बलात्कार, हत्या व हत्या की कोशिश की घटनाएं झारखंड में अधिक हो रही हैं. झारखंड में अब भी अखिल भारतीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय 30 फीसदी कम है.
24 जिलों में पूर्वी सिंहभूम सबसे समृद्ध जिला है, पर राज्य के अन्य जिलों में सामाजिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य व मानव संसाधन इंडेक्स में काफी उतार-चढ़ाव हो रहा है. राज्य में अब भी कर्मियों का वेतनमान, वेतन के आधार पर खपत व राज्य का सकल घरेलू उत्पाद दर बढ़ा है, पर लोगों की जीवन शैली में उतना बदलाव नहीं हो रहा है. झारखंड को अब भी कई मानकों को पूरा करने के लिए काफी आगे बढ़ने की जरूरत है.
नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान चले : एसएन प्रधान
एडीजी अभियान एसएन प्रधान ने कहा कि नक्सलियों का सिद्धांत है कि हथियारबंद लड़ाई के जरिये सत्ता हासिल की जाये. नक्सली तभी बात करेंगे, सरेंडर करेंगे या मुख्यधारा में लौटेंगे, जब हम आक्रामक अभियान चलायेंगे. वह नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान चला कर उन्हें खत्म किया जाये या बातचीत के जरिये उन्हें मुख्यधारा में लाया जाये के सवाल पर बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि हमारा रुख आक्रामक या नरम हो, वह इस बात पर निर्भर करता है कि नक्सली भी इस बात को समझें. नक्सलियों की मानसिकता के सवाल पर एसएन प्रधान ने कहा कि करीब आठ साल पहले 14 साल का एक बच्चा उनके पास आया था. 12 साल की उम्र में वह नक्सली बन गया था. दो साल तक नक्सल कैंप में रहा.
संगठन में उसे बताया गया है कि आप (पुलिस) उसका दुश्मन है. पुलिस गलत करती है. गांव में पुलिस ने उसके साथ भी अन्याय किया. इस नजरिये से नक्सली सही हैं. ऐसा क्या हुआ कि झारखंड में नक्सली गतिविधि में कमी आ गयी? इस सवाल पर श्री प्रधान ने कहा कि झारखंड में नक्सली संगठनों में भ्रष्टाचार आ गये हैं. संगठन के बड़े नेता अपने बच्चों को शहर में पढ़ा रहे हैं, लेकिन नीचे के लोग 200 रुपये प्रतिमाह पर काम करके किसी तरह जिंदगी गुजार रहे हैं.
दो साल से अच्छा कर रहा है राज्य : शैबाल
आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने कहा कि झारखंड में स्थायी सरकार का असर दिख रहा है. पिछले दो साल से राज्य अच्छा काम कर रहा है. झारखंड जैसे राज्य में ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (एचडीआइ) के आकलन के कई पारा मीटर हो सकते हैं. इस राज्य में कई समृद्ध तकनीकी संस्थान हैं. कई स्कूल और कॉलेज देश के कई बड़े शहरों की तुलना में अच्छे हैं. राज्य के एचडीआइ में यहां रहने वाले आदिवासी व गैर आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक पहलू का भी महत्व है. राज्य में सिविल सोसाइटी काफी मजबूत है.
प्राचार्यों को बना दिया गया ठेकेदार : रमेश शरण
रांची विवि में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ रमेश शरण ने कहा कि करीब 28 साल से शैक्षणिक कार्य कर रहा हूं. इसके बावजूद लगता है कि क्यों कर रहा हूं यह काम. क्यों नेतहराट अच्छा है.
हमारी सरकारी शिक्षा व्यवस्था चौपट है. इसके पीछे कारण समझ में आता है कि आधे समय हमारे शिक्षक हड़ताल पर रहते हैं. सरकारी स्कूलों में प्राचार्यों को ठेकेदार बना दिया गया है. पारा शिक्षकों के भरोसे स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था आ गयी है. इस पर विचार करने की जरूरत है. उच्च शिक्षा की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. पिछले आठ साल से कॉलेज शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है. जब तक सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बच्चों के लिए सरकारी शिक्षा जरूरी नहीं हो जायेगी, तो सुधार की संभावना कम दिखती है. एेसे में झारखंड में हम समावेशी शिक्षा की कल्पना नहीं कर सकते हैं. स्वच्छता के मुद्दे पर डॉ शरण ने कहा कि यह सोच से जुड़ी समस्या है.
दिखने लगी विकास की रफ्तार : अमिताभ बक्शी
टाटा स्टील के अमिताभ बक्शी ने कहा कि जब से राज्य में स्थायी सरकार बनी है, विकास की रफ्तार दिखने लगी है. राज्य आगे देख रहा है. कई ऐसे निर्णय लिये गये हैं, जिससे उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है. राज्य में औद्योगिक नीति बनायी गयी है. उद्योगों को सुविधा देने के लिए कई नीतियां बनायी जा रही हैं.
पहले लाइसेंस लेने के लिए काफी दौड़ लगानी पड़ती थी. आज स्थिति बदल गयी है. पहले सही तरीके से काम करने में परेशानी होती थी. अब स्थिति बदल गयी है. सही तरीके से काम करनेवालों को कोई दिक्कत नहीं हो रही है. राज्य को एक आइअाइटी मिले, इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि यहां के टैलेंट राज्य में रोके जायें.
ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिल रहा नक्सलियों को : आरके मल्लिक
आइजी प्रोविजन आरके मल्लिक ने कहा कि झारखंड में अब नक्सलियों को ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिल रहा है. राज्य गठन के बाद हुई कार्रवाई का परिणाम यह निकला कि 50 प्रतिशत नक्सल प्रभावित इलाकों में ग्रामीण हथियार के डर से नक्सलियों के पक्ष में हैं, लेकिन 50 प्रतिशत इलाकों के ग्रामीण उनके विरोध में हैं. श्री मल्लिक इंडिया टुडे कॉनक्लेव में बोल रहे थे. नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान या बातचीत के जरिये उन्हें मुख्यधारा में लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि नक्सली और उससे टूट कर बने संगठन आपस में लड़ रहे हैं.
आक्रामक अभियान का मतलब यह नहीं होना चाहिए हम मिलिट्री ऑपरेशन चलायें. श्री मल्लिक ने नक्सल प्रभावित इलाकों में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ानी जरूरी है. उन्होंने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां नक्सल प्रभावित इलाकों में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ीं, लोग उसमें शामिल हुए. झारखंड में यह नहीं हो रहा है. ग्रामीणों इलाकों में खालीपन है. उनके सामने दो ही विकल्प है, सरकार उनके लिए अच्छी है या खराब. झारखंड में नक्सली गतिविधि में कमी आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 15 साल में 450 से अधिक पुलिस के जवान शहीद हुए. हाल के वर्षों में स्पष्ट निर्देश है कि नक्सलियों को खत्म करना है.
एचडीआइ देश के लिए महत्वपूर्ण : घोष
अाद्री के सांख्यिकीविद प्रशांत घोष ने कहा कि एचडीअाइ केवल झारखंड ही नहीं,पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है . 2008 में अमेरिका में वित्तीय संकट आया. सरकार ने सामाजिक क्षेत्र में भी कटौती कर दी. अमेरिका देश का सबसे अच्छा प्रोफेशनल तैयार करता है. चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो. इसके बावजूद उस देश पर संकट आया. इसके बावजूद वहां कई चीजों में कटौती नहीं की गयी. इसका एक उदाहरण वहां की शैक्षणिक व्यवस्था थी. वहां के स्कूल कॉमन स्कूलिंग की तरह चलते हैं. सभी श्रेणी के लोगों के बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते हैं. इस कारण वहां शिक्षा में गुणवत्ता है.
रिपोर्ट का प्रकाशन जरूरी : हरिश्वर
इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन इंडेक्स, रांची के हरिश्वर दयाल ने कहा कि ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स की गणना की विधि भी महत्वपूर्ण है. इसकी गणना के साथ-साथ इससे संबंधित रिपोर्ट का प्रकाशन भी होना चाहिए. इससे विकास के पैमाने का आकलन हो सकता है. इसके आकलन में कई तरह की तकनीकी का इस्तेमाल होता है. राज्य में शिक्षा की स्थिति अच्छी नहीं है. इसके कई कारण हैं. यहां शिक्षकों की संख्या कम है. शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया ठीक नहीं है. यहां के शिक्षक बहुत योग्य नहीं है. यही कारण है कि यहां सरकारी शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के साथ-साथ उच्च शिक्षा भी एचडीआइ का महत्वपूर्ण पैमाना है.
राज्य में बदलाव हो रहा है : गोपाल सिंह
सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह ने कहा कि राज्य में काफी बदलाव हो रहा है. पक्ष और विपक्ष दोनों सहयोग कर रहे हैं. यही कारण है कि सीसीएल को पहले एक साल में 200 से 300 एकड़ जमीन का क्लीयरेंस मिलता था. पिछले साल 10 हजार एकड़ जमीन का क्लीयरेंस मिला है.
यह अपने आप में अविश्वसनीय काम है.अब लगता है कि सब मिलकर राज्य का विकास चाह रहे हैं. यही कारण है कि सीसीएल से आइटीआइ का प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले दो बैच के बच्चों को कमींस इंडिया ने अपने यहां नौकरी दी है. राज्य की स्थिति देख कर लगता है कि यहां विकास का पूरा पैकेज तैयार हो गया है. राज्य सरकार और सीसीएल मिल कर खेल अकादमी भी चला रहे हैं. अब लगता है कि आने वाला समय झारखंड का होगा.
रोजगार से जोड़ने की जरूरत : राजू
भारतीय प्रशासनिक सेवा के बिहार कैडर के अधिकारी एसएम राजू ने कहा कि अभी भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में खरीदारी की क्षमता कम है. ग्रामीण क्षेत्रों को रोजगार से जोड़ने की जरूरत है़
झारखंड जैसे राज्य में संभावना की कमी नहीं है. यहां मन से काम करने की जरूरत है. बदलाव यहां भी दिखेगा. उन्होंने कहा कि बिहार में काम करने के दौरान कई ऐसे मौके आये, जब कई लोगों के सहयोग से चीजों को सुधारा गया है. कई बार कई न्यायिक अधिकारियों का सहयोग भी प्राप्त हुआ. सबके सहयोग से ही बड़ा काम किया जा सकता है.
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