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तिलैया यूएमपीपी की माइनिंग लीज साढ़े तीन साल से लंबित

रांची: रिलायंस पावर के अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) की कोल ब्लॉक माइनिंग लीज की फाइल साढ़े तीन वर्षो से राज्य सरकार के यहां लंबित है. मई 2010 में ही आवेदन दिया गया था. राज्य सरकार को इसकी अनुशंसा कर केंद्र सरकार के पास भेजना है. इसकी शिकायत तिलैया यूएमपीपी द्वारा कैबिनेट कमेटी ऑन इंवेस्टमेंट […]

रांची: रिलायंस पावर के अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) की कोल ब्लॉक माइनिंग लीज की फाइल साढ़े तीन वर्षो से राज्य सरकार के यहां लंबित है. मई 2010 में ही आवेदन दिया गया था. राज्य सरकार को इसकी अनुशंसा कर केंद्र सरकार के पास भेजना है. इसकी शिकायत तिलैया यूएमपीपी द्वारा कैबिनेट कमेटी ऑन इंवेस्टमेंट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ग्रुप से की गयी है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को इस पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया है. मुख्य सचिव ने खान विभाग को अविलंब कार्रवाई करते हुए माइनिंग लीज की अनुशंसा भेजने का निर्देश दिया है.

क्या है मामला: केंद्र सरकार की अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए केरेनडारी डीएंडसी कोल ब्लॉक आवंटित किया गया है. इस पावर प्रोजेक्ट व कोल ब्लॉक का डेवलपर रिलायंस पावर है. मई 2010 से ही लीज का आवेदन लंबित है. इस कारण कंपनी द्वारा डेवलपमेंट की कार्रवाई नहीं की जा रही है.

होगा 15 करोड़ का फायदा: केंद्र सरकार ने चार हजार मेगावाट क्षमता की दो यूएमपीपी झारखंड को आवंटित किये हैं. इसमें पहला यूएमपीपी कोडरमा में बनना है. जबकि दूसरा संताल परगना में. गौरतलब है कि यूएमपीपी से उत्पादित कुल बिजली का 25 फीसदी झारखंड को देना होगा. राज्य सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक, यूएमपीपी को 2015 तक पूरा होना था, पर जमीन आदि की समस्या को लेकर इसमें विलंब हो रहा है. यूएमपीपी बन जाये, तो झारखंड को प्रति माह 15 करोड़ रुपये की बचत होगी.

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