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केंद्रीय विवि के 20 अनुबंधित शिक्षकों का भविष्य अधर में

रांची : केंद्रीय विश्वविद्यालय के 20 अनुबंधित शिक्षकों का भविष्य अधर में है. ये शिक्षक विवि में वर्ष 2009 से कार्यरत थे. 11 माह के अनुबंध पर इन शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष सेवा विस्तार दिया जा रहा था. मई 2016 से इन शिक्षकों को अनुबंध पर नहीं रखने की घोषणा विवि प्रशासन ने कर दी […]

रांची : केंद्रीय विश्वविद्यालय के 20 अनुबंधित शिक्षकों का भविष्य अधर में है. ये शिक्षक विवि में वर्ष 2009 से कार्यरत थे. 11 माह के अनुबंध पर इन शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष सेवा विस्तार दिया जा रहा था.
मई 2016 से इन शिक्षकों को अनुबंध पर नहीं रखने की घोषणा विवि प्रशासन ने कर दी है. इसे लेकर ये शिक्षक काफी चिंतित हैं. अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे कहां जायें. इन शिक्षकों को आरंभ में लगभग 35,500 हजार रुपये मिलते थे. यूजीसी टीम के निरीक्षण के बाद इन शिक्षकों को लगभग 55,500 हजार रुपये मिल रहे थे. बाद में विवि प्रशासन इसमें कटौती कर वापस लगभग 35,500 हजार रुपये देने लगा.
अनुबंधित शिक्षकों ने कुलपति से कई बार सेवा विस्तार देने की मांग किया, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे. बताया जाता है कि विवि से 22 कोर्स में से लगभग पांच कोर्स को ही मान्यता मिली है. ऐसे में इन कोर्स के विद्यार्थी का भविष्य भी खतरे में पड़ गया है. इधर, अनुबंधित शिक्षकों ने कहा है कि विवि प्रशासन द्वारा इसकी जानकारी रहने के बावजूद चार जुलाई से 12 जुलाई 2016 तक विभिन्न कोर्स में कई शिक्षकों का नामांकन लिया गया.
शिक्षकों ने कहा है कि विवि प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया था कि ग्रीष्मावकाश के बाद सेमेस्टर शुरू होते ही सभी शिक्षकों को सेवा विस्तार दे दिया जायेगा. सभी विभाग के अध्यक्ष ने सेवा विस्तार के लिए विवि प्रशासन के पास अपनी अनुशंसा भी भेज दी है. इसके बावजूद विवि प्रशासन ने विज्ञापन निकाल कर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दिया. शिक्षकों के अनुसार विज्ञापन में यूजीसी के नियमों की भी अनदेखी की गयी है.
आरक्षण रोस्टर बदल दिया गया है. शिक्षकों ने विवि प्रशासन को झारखंड उच्च न्यायालय के उक्त आदेश से भी अवगत कराया है, जिसमें कहा गया है कि अनुबंधित कर्मियों की जगह दूसरे अनुबंधित कर्मियों को नियुक्त नहीं किया जा सकता है. वेतन के मामले में भी यूजीसी नियमावली की अनदेखी की गयी है.

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