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एक माह बाद भी नहीं मिली प्राथमिकी की अनुमति
रिनपास नियुक्ति मामला रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रिनपास के प्रभारी निदेशक रहे डॉ अमोल रंजन, डॉ केके नाग, मसरूह जहां, कैप्टन सिंह सेंगर, डॉ बलराम सहित अन्य के खिलाफ सरकार से प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. इसके लिए जून की शुरुआत में प्रस्ताव तैयार कर सरकार के पास भेजा गया […]
रिनपास नियुक्ति मामला
रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रिनपास के प्रभारी निदेशक रहे डॉ अमोल रंजन, डॉ केके नाग, मसरूह जहां, कैप्टन सिंह सेंगर, डॉ बलराम सहित अन्य के खिलाफ सरकार से प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. इसके लिए जून की शुरुआत में प्रस्ताव तैयार कर सरकार के पास भेजा गया था, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली.
अब मामले में एसीबी चीफ एडीजी पीआरके नायडू ने निगरानी मंत्रिमंडल विभाग के सचिव को हस्तक्षेप करने को कहा है. वहीं दूसरी ओर हाउसिंग बोर्ड भूमि घोटाले से संबंधित मामले में करीब एक माह पूर्व प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था. लेकिन इस मामले में भी एक माह बीत जाने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति सरकार से नहीं मिली है. इसके लिए भी सरकार के पास रिमाइंडर भेजा गया है.
जांच में अवैध पायी गयी थीं नियुक्तियां : रिनपास में डाॅ अमोल रंजन सहित अन्य की नियुक्ति को एसीबी ने जांच में अवैध पाया है. जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि दोबारा प्रभारी निदेशक बनाये जाने के लिए तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के पास प्रस्ताव भेजा था. इसके पूर्व नियुक्ति में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्म के समय हुई थी. इसलिए दो पूर्व मंत्रियों और तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव की भूमिका पर एसीबी के अधिकारियों ने सवाल उठाया है. तीनों की संलिप्तता पर जांच जारी है. इसलिए अभी उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति सरकार से नहीं मांगी गयी है.
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