रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे घटनाक्रम की जानकारी धनबाद के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा को थी. हालांकि यह बात पक्के तौर पर तभी कही जा सकती है, जब इन घटनाओं को लेकर दर्ज सभी स्टेशन डायरी और प्राथमिकी की जांच सही तरीके से की जाये. उमेश कच्छप की मौत के सवाल पर जांच टीम ने कहा है कि उनके पुत्र ने लिखित आवेदन देकर कहा है कि उनके पिता आत्महत्या नहीं कर सकते. इसलिए इसकी पूरी जांच के बाद ही अंतिम तथ्य पर पहुंचा जा सकता है. इन तथ्यों का उल्लेख करते हुए जांच कमेटी ने पूरे मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की अनुशंसा की है.
गृह विभाग की समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर सरकार यह निर्णय लेगी की पूरे मामले की जांच किस स्वतंत्र एजेंसी (केंद्रीय एजेंसी सीबीआइ या राज्य की सीआइडी) से करायी जाये. उल्लेखनीय है कि 13-14 जून की रात बाघमारा के तत्कालीन डीएसपी नजरूल होदा, इंस्पेक्टर डीके मिश्रा और हरिहरपुर थाना के तत्कालीन प्रभारी संतोष रजक जीटी रोड पर वाहनों की चेकिंग कर रहे थे.
इसी दौरान एक ट्रक भाग निकला. पुलिस अधिकारी ट्रक का पीछा करते हुए राजगंज क्षेत्र तक गये. वहां ट्रक के चालक मो नाजिर को गोली लगने की घटना हुई. घटना राजगंज क्षेत्र में हुई थी, लेकिन पुलिस ने तोपचांची थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी. दारोगा संतोष रजक के फर्द बयान की जगह उनके लिखित आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गयी. इसको लेकर तोपचांची के इंस्पेक्टर उमेश कच्छप दबाव में थे. इसी दौरान 17 जून को इंस्पेक्टर उमेश कच्छप का शव थाना परिसर में एक कमरे में लटकता मिला. मामले की जांच के लिए सरकार ने कैबिनेट सचिव एसएस मीणा और सीआइडी के एडीजी अजय कुमार सिंह की कमेटी बनायी थी.