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राजधानी में सिवरेज-ड्रेनेज का काम पड़ा धीमा, नौ माह में सिर्फ 2.5 किमी सिवर लाइन बिछायी गयी
रांची: राजधानी रांची में सिवरेज-ड्रेनेज के पहले चरण का काम धीमा पड़ गया है. इसे 21 महीने में पूरा करना है़ अब तक नौ माह बीत चुके हैं, लेकिन सिर्फ दो से 2.5 किलोमीटर ही सिवर लाइन बिछायी जा सकी है. अन्य कार्य भी तय समय-सीमा से पीछे चल रहे हैं. रांची नगर निगम की […]
रांची: राजधानी रांची में सिवरेज-ड्रेनेज के पहले चरण का काम धीमा पड़ गया है. इसे 21 महीने में पूरा करना है़ अब तक नौ माह बीत चुके हैं, लेकिन सिर्फ दो से 2.5 किलोमीटर ही सिवर लाइन बिछायी जा सकी है. अन्य कार्य भी तय समय-सीमा से पीछे चल रहे हैं. रांची नगर निगम की ओर से लखनऊ की कंपनी ज्योति बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड को सिवरेज-ड्रेनेज परियोजना का कांट्रैक्टर नियुक्त किया गया है. नगर निगम ने 359 करोड़ के कार्यादेश के बाबत 54 करोड़ रुपये कंपनी को अग्रिम भी दे दिया है.
अग्रिम राशि दिये जाने को लेकर महालेखाकार कार्यालय ने आपत्ति जतायी है. नगर आयुक्त प्रशांत कुमार का भी मानना है कि ज्योति बिल्डटेक का काम धीमा चल रहा है. पहले सिर्फ सिवरेज का काम चल रहा था. अब उसे रुकवा कर ड्रेनेज के डिजाइन काे अप्रूव कराने का आदेश दिया गया है. ड्रेनेज का डिजाइन अब तक स्वीकृत नहीं हो पाया है. श्री कुमार के अनुसार, काम में तेजी लाने के लिए कई बार कंपनी को नोटिस भी दिया गया है.
रातू व कांके को लिया गया है पहले चरण में : योजना के पहले चरण में कांके रोड स्थित राजभवन, रातू रोड और बूटी मोड़ तक के इलाके लिये गये हैं. इसमें सिरवेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ-साथ 210 किलोमीटर सिवर पाइपलाइन और 207 किलोमीटर तक ड्रेनेज पाइपलाइन बिछायी जानी है. 27 वर्ग किलोमीटर में पहले फेज का काम करना है. इसमें कांके रोड, चौधरी पेट्रोल पंप, बूटी बस्ती, आर्यपुरी रोड नंबर-एक, इंद्रपुरी रोड नंबर-एक, विकास नगर, सुखदेवनगर, बनहौरा, हेहल, बरियातू हाउसिंग काॅलोनी व साउथ समाज रोड थड़पखना भी शामिल है.
तीन किस्तों में दी जानी थी अग्रिम राशि : समझौते के अनुसार, तीन किस्तों में अग्रिम राशि दी जानी थी. इसके अतिरिक्त अग्रिम राशि के अनुरूप कंपनी को भी इतनी राशि योजना में लगानी थी़ इसके लिए नगर निगम के मुख्य अभियंता के नेतृत्व में योजना के लिए एक माॅनिटरिंग समिति भी बनायी गयी है, लेकिन कंपनी की ओर से बिलिंग नहीं किये जाने से उसकी उपयोगिता अब तक सरकार को और महालेखाकार को नहीं भेजी जा सकी है. योजना में उपयोगिता प्रमाण पत्र दिये जाने के लिए एक फाॅरमेट भी बनाया गया है, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो.
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