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घर में बनाया हैंड मेड देसी फिल्टर

रांची: शुद्ध पानी पीने की चाहत रखनेवाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. ऐसे लोग अब अपने घर में भी मामूली खर्च कर वाटर फिल्टरेशन सिस्टम लगा सकते हैं. इसे बनाने में 15 से 20 हजार की लागत आयेगी. गुरुवार को साईं विहार कॉलोनी (रातू रोड) में देसी तकनीक (हैंड मेड) से बनाये गये इस […]

रांची: शुद्ध पानी पीने की चाहत रखनेवाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. ऐसे लोग अब अपने घर में भी मामूली खर्च कर वाटर फिल्टरेशन सिस्टम लगा सकते हैं. इसे बनाने में 15 से 20 हजार की लागत आयेगी. गुरुवार को साईं विहार कॉलोनी (रातू रोड) में देसी तकनीक (हैंड मेड) से बनाये गये इस वाटर फिल्टरेशन सिस्टम का उदघाटन नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने किया.
मंत्री श्री सिंह ने कहा कि देसी तकनीक से बने इस फिल्टरेशन सिस्टम को लगाकर लोग शुद्ध पानी पी सकते हैं. वहीं अपने घर में इस सिस्टम को लगानेवाले यूथ पावर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि आज एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने में डेढ़ से दो लाख की लागत आती है. ऐसे में 15 हजार में बने इस फिल्टरेशन सिस्टम से शहर की काफी आबादी लाभान्वित हो सकती है. उन्होंने कहा कि इसे उन्होंने खुद से अपने घर में बनवाया है. इसे बोरिंग से भी जोड़ दिया गया है, ताकि शुद्ध पानी पी सकें.
ऐसे बनाया सिस्टम : इस सिस्टम में बारिश का पानी एकत्र करने के लिए छत को पाइप लाइन से जोड़ दिया गया है. बारिश का गंदा पानी सीधे बोरिंग में न समा जाये. इसके लिए पाइपलाइन में एक रेन फिल्टर लगाया गया है. यहां से आनेवाले पानी को एकत्र करने के लिए उसे एक हजार लीटर के एक पानी की टंकी से जोड़ दिया गया है. पानी टंकी के सबसे नीचले हिस्से में 40 मिमी गोल पत्थर, फिर 20 मिमी का व उसके बाद 10 मिमी का पत्थर दिया गया है. पत्थरों की इस परत की ऊंचाई एक-एक फीट है. इसके ऊपर में छह इंच चारकोल की परत बिछायी गयी है.

इसके ऊपर में तीन इंच मोटी एक्टिवेटेड कार्बन की परत है. इसके ऊपर में जीओ टेक्सटाइल मेंब्रेन (स्टील का कपड़ा) एक मीटर, उसके बाद 20 मिमी साइज का पत्थर, फिर 10 मिमी का पत्थर दिया गया है. इसके ऊपर में कर्नाटक से मंगाया गया काला बालू 50 किलो डाला गया है. इसके ऊपर में 25 किलो नदी का बालू डाला गया है. बालू के ऊपर में 10 एमएम का पत्थर फिर से दिया गया है. टंकी में आने वाले पानी के नीचे लगातार रिसते रहने के लिए टंकी के नीचे 25 छिद्र बनाये गये हैं. इस छिद्र से होकर यह पानी धरती के नीचे बने संप में पहुंच जाता है. यहां से मोटर के माध्यम से इस पानी काे छत पर लगी पानी की टंकी में ले जाया जाता है. इतनी सारी प्रक्रियाओं के बाद पानी पूरी तरह शुद्ध हो जाता है.

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