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स्टेट बैंक देशहित में अपनी भूमिका निभाये: सीपी सिंह

रांची : नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक देश हित में अपनी भूमिका और कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से करे. उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक एक अग्रणी बैंक की भूमिका में रहा है. स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन के त्रिशताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए नगर विकास मंत्री ने […]

रांची : नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक देश हित में अपनी भूमिका और कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से करे. उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक एक अग्रणी बैंक की भूमिका में रहा है.
स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन के त्रिशताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए नगर विकास मंत्री ने कहा कि बैंकों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ी है. ऐसे में बैंक के कार्यकलापों में भी काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि कई जगहों पर पेंशन से लेकर राज्य कर्मियों के वेतन भुगतान और अन्य कार्य स्टेट बैंक के जिम्मे है. यहां तक कि कोषागार भी बैंक से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्द्धा के दौर में बैंकों को और जिम्मेदारी से काम करना होगा, क्योंकि जो बैंक बेहतर सर्विस देंगे, ग्राहक वहीं जायेंगे.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव संजीव कुमार मंगलेश ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से बैंकों को संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के समझौतों के तहत अब डेडलाइन नजदीक आ रहे हैं. बैंकिंग सेक्टर पर भी अब अंतरराष्ट्रीय बैंकों के आने से प्रभाव पड़ना लाजिमी है. उन्होंने कहा कि फायनांशियल इंक्लुजन के नाम पर केंद्र सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है.
प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर जा कर यह कह रहे हैं कि हमने छह माह में दस करोड़ नये खाते खोले हैं, ये क्या निजी बैंकों ने खोले हैं. गरीबों और पिछड़े समुदाय को कर्ज देने में भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका बेहतर रही है. उन्होंने कहा कि 29 जुलाई को बैंकों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल आहूत की गयी है. अब बैंकों के साथ 11वें द्विपक्षीय समझौते का समय आ गया है. भारतीय बैंक एसोसिएशन की यह दलील है कि बैंकों के पास पैसा नहीं है, इसके लिए हमें आंदोलन करना होगा. उन्होंने कहा कि बैंकों के अधिकारियों ने विजय माल्या को लोन नहीं दिया. एनपीए बढ़ाने में राजनेताओं की भी भूमिका रही है.
यूनाइटेड फोरम अॉफ बैंक यूनियंस के संयोजक एमवी मुरली ने कहा कि इंडियन बैंक एसोसिएशन बैंक कर्मियों के दावे को आसानी से नहीं मानता है. इसके लिए एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है. अंतरराष्ट्रीय बैंकों से जूझने के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों को एक साझा फोरम गठित कर लड़ाई लड़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिस तरह बैंकों के निजीकरण की बातें हो रही हैं, उससे आनेवाले दिनों में कठिनाइयां और बढ़ेंगी.
कार्यक्रम में स्टाफ एसोसिएशन के उत्तर-पूर्व, भुवनेश्वर, दिल्ली, लखनऊ, पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष और महासचिव ने भी अपने विचार रखे. पटना अंचल की नयी कार्यकारिणी की भी घोषणा की गयी. इससे पहले सभी अतिथियों का स्वागत उमेश प्रसाद सिंह और पटना अंचल के अध्यक्ष राजेश त्रिपाठी ने किया.

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