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पंचायतों को अधिकार दे सरकार वरना जनता सबक सिखायेगी

राजभवन के पास जुटे 10 हजार से अधिक पंचायत प्रतिनिधि, कहा रांची : पंचायतों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा हक व अधिकार की मांग को लेकर शनिवार को धरना सह उपवास कार्यक्रम राजभवन के समक्ष किया गया. कार्यक्रम में राज्य के सभी जिलों से 10 हजार से अधिक पंचायतों के प्रतिनिधि जैसे वार्ड मेंबर, मुखिया, पंचायत […]

राजभवन के पास जुटे 10 हजार से अधिक पंचायत प्रतिनिधि, कहा
रांची : पंचायतों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा हक व अधिकार की मांग को लेकर शनिवार को धरना सह उपवास कार्यक्रम राजभवन के समक्ष किया गया. कार्यक्रम में राज्य के सभी जिलों से 10 हजार से अधिक पंचायतों के प्रतिनिधि जैसे वार्ड मेंबर, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य आदि ने भागीदारी की.
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि पंचायतों को अधिकार दिये जाने के लिए सरकार से लगातार मांग की जा रही है. परंतु सरकार किस गहरी नींद में सोई हुई है, यह पता ही नहीं चल रहा है. वक्ताओं ने कहा कि सरकार के मंत्री व विधायक यह जान लें कि अगर पंचायतों को अधिकार नहीं मिला, तो तीन साल बाद फिर से विधानसभा के चुनाव होनेवाले हैं. उस समय जनता सभी को सबक सिखायेगी.
पांच घंटे तक कार्यक्रम राजभवन के समक्ष चला. फिर राज्यपाल को नौ सूत्री मांग पत्र सौंपा गया. धरना कार्यक्रम में त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि की अध्यक्ष शालिनी गुप्ता, रांची के जिप अध्यक्ष सुकरा सिंह मुंडा, उपाध्यक्ष पार्वती देवी, सचिव ब्रह्मदेव महतो, राजेंद्र प्रसाद साहू, मेनोन एक्का, मुकेश शुक्ला, रेणुका मुर्मू, संजय सिंह, ममता देवी सहित हजारों की संख्या में पंचायतों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
यह है पंचायत प्रतिनिधियों की मांगें
¿- राज्य सरकार व केंद्र सरकार पंचायत प्रतिनिधियों को विकास कार्य के लिए प्रतिवर्ष फंड उपलब्ध कराये. 14वें वित्त अनुदान की राशि को जिला परिषद व पंचायत समिति को दिया जाये.
– संविधान की 11वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों पर शक्तियों का प्रत्यायोजन कर उसका अनुपालन जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत स्तर पर सुनिश्चित करें.
– जिला ग्रामीण विकास अभिकरण का विलय जिला परिषद में कराया जाये.
– जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत के तीनों ईकाई के अध्यक्ष व सदस्य को सम्मानजनक वेतन दें़
– भूमि संरक्षण विभाग द्वारा कार्यान्वित योजनाओं व तालाब जीर्णोद्धार की अनुशंसा में पंचायत प्रतिनिधियों को प्राथमिकता दी जाये.
– राज्य सरकार द्वारा बनाये गये विभिन्न विभागों के बजट का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा पंचायतों को उपलब्ध कराया जाये.
– बिहार, पश्चिम बंगाल व केरल की तर्ज पर झारखंड के पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार दिया जाये.

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