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जिम्मेवारों की लापरवाही फिर से डुबोयेगी आधी राजधानी

झारखंड में मॉनसून की बारिश शुरू हो चुकी है. मौसम विभाग की मानें, तो इस वर्ष झारखंड में झमाझम बारिश होने वाली है. यह खेती-किसनी के लिहाज से काफी सुखद है, लेकिन राजधानी के लिए मॉनसून की यह बारिश मुसीबतों बड़ा पैकेज लेकर आयी है. 23 जून को हुई बारिश में इसका नमूना भी दिख […]

झारखंड में मॉनसून की बारिश शुरू हो चुकी है. मौसम विभाग की मानें, तो इस वर्ष झारखंड में झमाझम बारिश होने वाली है. यह खेती-किसनी के लिहाज से काफी सुखद है, लेकिन राजधानी के लिए मॉनसून की यह बारिश मुसीबतों बड़ा पैकेज लेकर आयी है. 23 जून को हुई बारिश में इसका नमूना भी दिख चुका है. महज दो घंटे की झमाझम बारिश में शहर की तमाम सड़कें और गलियां तालाब बन गयीं. चिंताजनक बात यह है कि न तो नगर निगम और न ही जिला प्रशासन इस मामले में गंभीर है.शहर की नालियां कचरे के ढेर से अटी पड़ी हैं. जरा सी बारिश होते ही नालियाें का पानी सड़कों पर आ जाता है. कई सड़कें टूटी हुई हैं, जो बारिश का पानी भरते ही लोगों के लिए खतरनाक हो जाती हैं. जैसा कि मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी किया है, अगर पूरे मॉनसून के दौरान झमाझम बारिश हुई तो राजधानी के आधे से ज्यादा इलाके हर साल की तरह इस बार भी डूब जायेंगे.
राजधानी में ऐसे 70 मोहल्ले हैं, जहां हर साल बारिश के मौसम में जल-जमाव की समस्या उत्पन्न होती है. बारिश के दिनों में इन इलाकों की सड़कें जलमग्न हो जाती हैं. कई बार तो स्थिति ऐसी आती है कि नालियों का पानी घरों के अंदर तक चला जाता है.
हर साल होने वाली यह समस्या रांची नगर निगम की कार्यप्रणालि पर कई सवाल भी खड़े करती है. गलती आम लोगों की भी है, जिन्होंने बेतरतीब ढंग से घर बना लिये. उस दौरान नगर निगम ने भी निगरानी नहीं की, जिसकी वजह से लोगों ने घर बनाते समय न तो नालियों के लिये जगह छोड़ी और न ही पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था की. नतीजतन, अब जब भी झमाझम बारिश होती है, तो ये इलाके जलमग्न हो जाते हैं.
बारिश में घरों में कैद हो जाते हैं लोग
रांची नगर निगम क्षेत्र के जिन 70 मोहल्लों की बसावट बेतरतीब है, उनमें रहने वाले लोग बारिश के दौरान अपने-अपने घरों में कैद हो जाते हैं. चूंकि ये मोहल्ले निचले इलाकों में बसे हुए हैं, इसलिए एक बार बारिश का पानी जमा होने इसकी निकासी बहुत धीमी गति से होती है. तब तक यहां की सड़कों पर घुटने तक पानी जमा रहता है. हालत यह होती है कि सड़क और नाली का फर्क कर पाना मुश्किल होता है. इससे कई बार राहगीर दुर्घटना का शिकार भी हो चुके हैं.
नहीं हुई बड़े नालों की सफाई
शहर में 60 से ज्यादा बड़े नाले हैं. बरसात के दिनों में गली-मोहल्ले में जमा हाेने वाला बारिश का पानी इन्हीं बड़ी नालों से होकर ही शहर के बाहर नदी में गिरता है. चिंताजक यह है कि अब तक इन 60 बड़े नालों में से ज्यादातर की साफ-सफाई पूरी तरह से नहीं हो पायी है. अधिकांश नाले पॉलीथीन, मिट्टी, घास और गाद से भरे पड़े हैं.
छोटी नालियों की सफाई धीमी
ऐसा लगता है कि बारिश में होने वाले जलजमाव को लेकर रांची नगर निगम गंभीर नहीं है. हालांकि, नगर निगम ने नालियों की सफाई के लिए शहर को चार जाेनों में बांटा है और सफाई का काम भी चल रहा है, लेकिन चारों ही जाेनों में सफाई काम काफी धीमी गति से चल रहा है. इधर, मॉनसून की बारिश शुरू हो चुकी है. जाहिर है कि अगर इस काम में तेजी नहीं लायी गयी तो शेष बचे मॉनसून के दौरान शहर के हर कोने में जल-जमाव हाेगा और लोग त्राहि-त्राहि करेंगे.
पानी में बह गये करोड़ों रुपये
राजधानी की सड़कों और गली-मोहल्ले में जलजमाव पर रोकने के लिए सरकार और नगर निगम ने पिछले पांच वर्षों में 125 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर नालियां बनवायीं. हालांकि, इतनी बड़ी रकम पानी में बह गयी, क्योंकि नालियां बेतरतीब ढंग से बनी हैं. दरअसल, एक नाली को दूसरी नाली से जोड़ा नहीं गया, जिसकी वजह से बारिश का पानी उसी इलाके में ठहर जाता है. जैसे ही जोरदार बारिश होती है, पानी नालियों से बाहर निकल कर सड़कों पर चला आता है.
पहाड़ पर होने बावजूद यह हाल
रांची शहर की भाैगोलिक स्थिति भी अन्य शहरों के तुलना में काफी अच्छी है. राज्य के अन्य शहर जहां अपेक्षाकृत समतल भूमि पर बसे हुए हैं, वहीं रांची शहर पठारी क्षेत्र में बसा हुआ है. ऊंचाई पर बसे होने के कारण बारिश का पानी यहां आसानी से निकल सकता है, लेकिन बेतरतीब ढंग से नालियों के निर्माण व अतिक्रमण के कारण भी यहां बारिश का पानी जमा हो जाता है, फिर यह पानी धीरे-धीरे ढलते हुए शहर से बाहर निकलता है.

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