पूरी नियुक्ति प्रक्रिया व मामले के मुख्य अभियुक्त स्वर्गीय देवेंद्र उर्फ दिलीप मिश्रा की बीच में ही मृत्यु की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा कराने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि वर्ष 2015 में झारखंड सशस्त्र पुलिस-9, साहेबगंज में धोबी, नाई, रसोईया, जलवाहक आदि के 269 पदों पर बहाली का विज्ञापन जारी किया गया था. बहाली के लिए चयन पर्षद का गठन श्री महली की अध्यक्षता में किया गया था.
बहाली के बाद अनियमितता और भ्रष्टाचार की बात सामने आने के बाद बोरयो थाना में कांड संख्या-56/16 दर्ज किया गया. इसमें कमांडेंट श्री महली ने उल्लेख किया कि देवेंद्र मिश्रा उर्फ दिलीप मिश्रा, मदन पांडेय व इनके सहयोगियों द्वारा बहाली के लिए इनके नाम पर (समादेष्टा के) लाखों रुपये की ठगी कर ली गयी है. बाद में पुलिस मुख्यालय द्वारा इसकी जांच करायी गयी. जांच में पाया गया कि अनियमितता में समादेष्टा श्री महली की भी संलिप्तता है.
चयन की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी. कमांडेंट ने 100 में से 60 अंक स्वयं आवंटन के लिए रखा और 20 अंक पर्षद के अन्य सदस्यों को आवंटित किया गया. कमांडेंट द्वारा अंकों की प्रविष्टि पेंसिल से की जाती थी. बाद में सारी लिखावट कलम से पायी गयी, जिससे प्रतीत होता है कि अंकों में फेरबदल किया गया. बहाली के दौरान अभियुक्तों से बातचीत नहीं होने के समादेष्टा के दावे पर कॉल डिटेल निकाली गयी. इसमें अभियुक्तों व कमांडेट के बीच बातचीत प्रमाणित हुई है.