एक मामला सिल्ली के साढ़े 17 साल के किशोर से संबंधित है, जिस पर छह माह तक शादी का झांसा देकर एक लड़की से दुष्कर्म करने और बाद में शादी से मुकर जाने का आरोप है. अन्य दो मामले डकैती से संबंधित हैं. इसमें खेलारी के एक और रांची के दो किशोरों पर बाइक डकैती का आरोप है. सभी बच्चों की उम्र 16 साल से अधिक है.
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नियमित अदालत में चलेगा चार नाबालिगों के खिलाफ ट्रायल
रांची: झारखंड के इतिहास में पहली बार चार नाबालिगों के खिलाफ नियमित अदालत में ट्रायल चलेगा. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिगों से संबंधित तीनों मामले सत्र न्यायालय को हस्तांतरित किये हैं. एक मामला सिल्ली के साढ़े 17 साल के किशोर से संबंधित है, जिस पर छह माह तक शादी का झांसा देकर एक लड़की से […]
रांची: झारखंड के इतिहास में पहली बार चार नाबालिगों के खिलाफ नियमित अदालत में ट्रायल चलेगा. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिगों से संबंधित तीनों मामले सत्र न्यायालय को हस्तांतरित किये हैं.
एक मामला सिल्ली के साढ़े 17 साल के किशोर से संबंधित है, जिस पर छह माह तक शादी का झांसा देकर एक लड़की से दुष्कर्म करने और बाद में शादी से मुकर जाने का आरोप है. अन्य दो मामले डकैती से संबंधित हैं. इसमें खेलारी के एक और रांची के दो किशोरों पर बाइक डकैती का आरोप है. सभी बच्चों की उम्र 16 साल से अधिक है.
पूरी जांच के बाद हस्तांतरित किया गया मामला : जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य गनौरी राम ने बताया कि यह मामला बोर्ड के समक्ष तीन माह पहले आया था. नाबालिगों की आयु जांच के बाद रिनपास की कमेटी ने आरोपी नाबालिगों की मानसिक और शारीरिक क्षमता की जांच की. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सभी आरोपी मानसिक और शारीरिक रूप से वयस्क हैं. इन्हें किये गये अपराध और उसके परिणाम की जानकारी है. इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए बोर्ड ने इन मामलों को नियमित कोर्ट में ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है.
बदले नियम से बदल गये सजा के प्रावधान : चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्य श्रीकांत कुमार ने बताया कि पहले 18 वर्ष के कम आयु के घृणित अपराध करने वाले बच्चों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत कम सजा मिलती थी. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 ने जुवेनाइल अपराध को तीन वर्गों में बांटा है. छोटे अपराधों में शामिल बच्चों को तीन साल से कम सजा देने, गंभीर अपराध करने वालों को तीन से सात साल की सजा देने और घृणित अपराध करने वालों को सात साल से अधिक सजा देने का प्रावधान है. एक्ट की धारा 15 (1) में कहा गया गया कि अगर घृणित अपराध करने वाले बच्चों की उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच है, तो बोर्ड उनके मानसिक और शारीरिक क्षमता का आकलन करते हुए इसे नियमित अदालत में ट्रांसफर कर सकता है.
दिल्ली ‘हिट एंड रन’ में हुई थी ऐसी ही सुनवाई
इससे पहले दिल्ली के हिट एंड रन मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग के मामले को नियमित अदालत के पास ट्रांसफर करने का निर्णय लिया था. जनवरी 2015 में नया जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के लागू होने के एक माह बाद यह कार्रवाई की गयी थी. नये कानून में कहा गया है कि अगर 16 से 18 आयु वर्ग के बच्चे घृणित अपराध करते हैं, तो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड इस मामले को नियमित अदालत में हस्तांतरित कर सकता है.
झारखंड के इतिहास में पहली और देश की दूसरी घटना है. नये एक्ट का अनुपालन करते हुए इन सभी मामलों को नियमित कोर्ट में हस्तांतरित किया है.
फहीम किरमानी, प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड
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